मौलाना मदनी ने कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में संवाददाता सम्मेलन को किया संबोधित

नई दिल्ली, 20 दिसंबर। जमीअत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि संसद से पारित 1991 के धर्म स्थल कानून के मौजूद होने के बाद बाबरी मस्जिद को छोड़कर किसी अन्य मस्जिद पर दावा करना और मामले को कोर्ट में लेकर जाना सही नहीं है। मथुरा की ईदगाह को लेकर कोर्ट के जरिए सर्वे का फैसला दिए जाने को भी इसी एक्ट के आलोक में देखा जाना चाहिए।

जमीअत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मदनी बुधवार को यहां कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि जब वर्ष 1991 में यह एक्ट संसद से पारित हुआ था, तब हमने समझा था कि अब सारी समस्या का समाधान हो गया है। बाद में कुछ शरारती और साम्प्रदायिक तत्वों के जरिए एक बार फिर से इन सभी मस्जिदों को लेकर के विवाद खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर मस्जिद इंतजामिया कमेटी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रही है। हम उनके साथ हैं।

उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की ईदगाह के मामले में अन्य राजनीतिक दलों की चुप्पी सही नहीं है। जिन लोगों ने वर्ष 1991 में धर्म स्थल कानून बनाया और उसे संसद से पास करवाया था, उन लोगों को सामने आना चाहिए और अपनी बात रखनी चाहिए। मौलाना ने कहा कि अयोध्या की बाबरी मस्जिद से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का फैसला जैसा भी था, हमने उसे माना है और आगे भी सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आएगा, हम उसे मानेंगे क्योंकि यह देश हमारा है और सुप्रीम कोर्ट भी हमारा है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए दी गई जगह पर मस्जिद बनाने के लिए तैयार होने के सवाल पर मौलाना ने कहा कि हम उस जमीन पर मस्जिद हरगिज बनाना नहीं चाहते, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद को मंदिर नहीं माना था और बाबरी मस्जिद को मस्जिद मानकर फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में कैसे फैसला दिया, क्यों दिया? हम इस मामले में नहीं पड़ना चाहते, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जरिए मस्जिद बनाने के लिए जो जमीन दी गई है, उसे हम सही नहीं मानते है। उन्होंने कहा कि भारत में हम जहां चाहें मस्जिद बना रहे हैं और बन रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के जरिए दी गई जमीन से हमारा कोई सरोकार नहीं है।

मौलाना ने एक सवाल के जवाब कहा है कि हम अपने धार्मिक स्थलों को कैसे किसी के हवाले कर सकते हैं। जबकि सभी को यह पता है कि मस्जिद जहां पर भी बनाई जाती है, जगह खरीद कर बनाई जाती है। किसी भी मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़कर नहीं किया गया। इस्लाम इसकी इजाजत बिल्कुल भी नहीं देता है। मौलाना ने कहा कि कुछ शरारती तत्वों के जरिए एक बार फिर से देश के शांत माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। इस पर सरकारों को ध्यान देना चाहिए और कानून व्यवस्था को चाक चौबंद करना चाहिए।