योगी सरकार के प्रयासों से आठ वर्षों में दोगुना हो गया प्रदेश का निर्यात

लखनऊ, 23 मई । योगी आदित्यनाथ सरकार के आठ वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश के निर्यात में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है।योगी सरकार के प्रयासों से पिछले आठ वर्षों में प्रदेश का निर्यात दोगुना से अधिक हो गया है। वर्ष 2017-18 में जहां निर्यात 88,967.42 करोड़ रुपये था, वहीं 2023-24 में यह आंकड़ा 1,70,340.95 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसमें प्रदेश के विविध उत्पादों की भागीदारी रही, जो दुनिया के 100 से अधिक देशों को भेजे गए। इसी के साथ उत्तर प्रदेश ने देश के शीर्ष निर्यातक राज्यों में अपनी जगह बनायी है। इतना ही नहीं योगी सरकार निर्यात को बढ़ाने के लिए नई निर्यात नीति तैयार कर रही है।

एमएसएमई सचिव प्रांजल यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी के निर्यात में दोगुना का उछाल आया है। इसी के साथ दुनियाभर में उत्तर प्रदेश के उत्पादों की डिमांड बढ़ी है। वहीं पिछले कुछ वर्षों में सबसे अधिक अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, स्पेन, रूस, जर्मनी, ब्रिटेन, नीदरलैंड और चीन में यूपी के उत्पादों की डिमांड है। इन देशों में इलेक्ट्रिक उपकरण, परिधान, औषधीय उत्पाद, कालीन, चमड़ा और फर्टिलाइज़र आदि का निर्यात तेजी से बढ़ा है। वहीं प्रदेश के प्रमुख निर्यात उत्पादों में सबसे ज्यादा बढ़त इलेक्ट्रिकल मशीनरी और उससे जुड़े उपकरणों की रही। वर्ष 2017-18 में इनका निर्यात 4,056.38 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में 38,756.50 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

इन उत्पादों के निर्यात में हुई बढ़ोतरी

– ऑटोमोबाइल निर्यात 14,737.85 करोड़ से बढ़कर 18,505.29 करोड़ हाे गया।

– फार्मा उत्पाद का निर्यात 9,114.30 करोड़ से बढ़कर 14,053.62 करोड़।

– न्यूक्लियर मशीनें और बॉयलर का निर्यात 3,275.80 करोड़ से बढ़कर 7,297.03 करोड़।

– प्लास्टिक उत्पाद का निर्यात 4,890.80 करोड़ से बढ़कर 6,727.13 करोड़।

– लोहे और स्टील का निर्यात 3,855.69 करोड़ से बढ़कर 5,667.70 करोड़।

– कालीन का निर्यात 4,048.12 करोड़ से बढ़कर 5,516.06 करोड़।

– चमड़ा व उत्पाद का निर्यात 3,271.58 करोड़ से बढ़कर 4,695.24 करोड़।

– वस्त्र (गारमेंट्स) का निर्यात 1,417.32 करोड़ से बढ़कर 4,352.33 करोड़।

नई निर्यात नीति तैयार कर रही योगी सरकार

योगी सरकार प्रदेश के निर्यात को और बढ़ाने के लिए नई निर्यात नीति तैयार कर रही है, जिसमें निर्यातकों के उत्पादों के प्रमाणीकरण लागत पर 25 लाख रुपये तक की सब्सिडी देने, निर्यात हब के रूप में ज़िलों का विकास, एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना का विस्तार, लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश और निर्यातकों के लिए स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम का विस्तार आदि शामिल है।