नई दिल्ली, 5 अगस्त। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मंगलवार को ब्रिटेन की संसद की उपाध्यक्ष नुसरत घानी के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल से शिष्टाचार भेंट की। यह मुलाकात दिल्ली विधानसभा परिसर में हुई।

इस अवसर पर गुप्ता ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच साझा लोकतांत्रिक मूल्य और ऐतिहासिक संबंध हमारी आधुनिक साझेदारी को दिशा देते हैं। उन्होंने भारत-ब्रिटेन संबंधों में हो रहे रणनीतिक परिवर्तन, जैसे व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) और इंडिया-यूके विजन 2035 का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देश अब व्यापार, शिक्षा, रक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे अनेक क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल व्यक्तियों में हाउस ऑफ कॉमन्स की क्लर्क असिस्टेंट सारा डेवीस, उपाध्यक्ष की निजी सचिव अबीगेल सैमुअल्स, ब्रिटिश उच्चायोग में राजनीतिक मामलों की प्रमुख नटैलिया लेह, उपप्रमुख अलेक्ज़ेंड्रा नोएल्स, वरिष्ठ सलाहकार भावना विज और राजनीतिक सलाहकार पारुल काविया शामिल थीं।

प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को लेकर विशेष चर्चा की गई। विस अध्यक्ष गुप्ता ने बताया कि वर्तमान में 1.7 लाख से अधिक भारतीय छात्र ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने गुरुग्राम में साउथहैम्पटन विश्वविद्यालय के आगामी परिसर की पहल का स्वागत किया और 2022 में हुए शैक्षणिक डिग्रियों की पारस्परिक मान्यता को एक अहम कदम बताया।

गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा की ऐतिहासिक पहलों से भी प्रतिनिधिमंडल को अवगत कराया, जिनमें ई-विधान प्रणाली (नेवा) के माध्यम से पूरी तरह पेपरलेस कार्यप्रणाली अपनाना और 500 किलोवाट सौर ऊर्जा संयंत्र की शुरुआत प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली विधानसभा देश की पहली नेट-जीरो कार्बन विधान सभा बन चुकी है।

अध्यक्ष ने यह भी बताया कि विधानसभा भवन, जो कभी ब्रिटिश इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का मुख्यालय था, को राष्ट्रीय विरासत के रूप में पुनर्स्थापित किया जा रहा है। इस दिशा में उन्होंने ब्रिटिश परिषद से ऐतिहासिक अभिलेख उपलब्ध कराने का अनुरोध किया ताकि इस संस्था की गौरवमयी विरासत को सहेजा जा सके।

ब्रिटेन की संसद की उपाध्यक्ष नुसरत घानी ने दिल्ली विधानसभा की मेजबानी और पहलों की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि 21वीं सदी की लोकतांत्रिक और सतत शासन व्यवस्था का आदर्श भी प्रस्तुत कर रही है। उन्होंने संसदों के बीच आपसी सहयोग और जनता से संवाद को और सशक्त बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। बैठक का समापन लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थागत सहयोग को और मजबूत करने के संकल्प के साथ हुआ।