अभियान के दौरान तैराकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा- तीनों सेनाओं के 11 कर्मियों ने सभी 21 द्वीपों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया
नई दिल्ली, 20 सितम्बर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर रखे गए अंडमान एवं निकोबार के 21 द्वीपों के लिए अपनी तरह के पहले खुले जल में तैराकी अभियान का ध्वज शुक्रवार को नई दिल्ली में हासिल किया। इस अभियान के दौरान 21 वीरता पुरस्कार विजेताओं के बलिदान को याद करके उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। राजनाथ सिंह ने अभियान के दौरान अनेक चुनौतियों पर विजय पाने तथा परमवीरों की वीरता और बलिदान की कहानियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए टीम की सराहना की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर अंडमान और निकोबार के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों का नाम परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर रखा था। तीनों सेनाओं के अंडमान और निकोबार कमांड ने ‘अभियान परमवीर’ शुरू किया, जिसमें भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय तटरक्षक बल के कर्मियों की एक टीम ने सभी 21 द्वीपों की यात्रा करके प्रत्येक द्वीप पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। 11 सदस्यीय अभियान दल का नेतृत्व ओपन वॉटर तैराक और तेनजिंग नॉर्वे नेशनल एडवेंचर अवार्डी विंग कमांडर परमवीर सिंह ने किया।
विश्व जल दिवस पर 22 मार्च को श्री विजयपुरम से नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप तक के अभियान को औपचारिक रूप से हरी झंडी दिखाई गई थी। सेना और तटरक्षक बल के 11 कर्मियों ने पांच महीनों तक 300 किलोमीटर से अधिक की ‘बिना सहायता के खुले जल में तैराकी’ की और प्रत्येक द्वीप पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। अभियान का समापन 15 अगस्त को 78वें स्वतंत्रता दिवस पर हुआ। नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप से श्री विजयपुरम तक
अंतिम तैराकी सशस्त्र बलों और तटरक्षक बल के 78 कर्मियों ने की। सभी तैराकों ने ‘बिना सहायता वाले खुले पानी में तैराकी’ की श्रेणी के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों और विनियमों के अनुसार अभियान चलाया, जिसके अनुसार तैराकों को केवल स्विम ट्रंक, गॉगल्स और कैप ही पहनने चाहिए।
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने टीम के साहस और क्षमता की सराहना की, जिसने समुद्र में कई चुनौतियों को पार करते हुए परम वीरों की वीरता और बलिदान की कहानियों को लोगों तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि यह अभियान सरकार के प्रयासों के अनुरूप है, ताकि राष्ट्र की सेवा में खुद को बलिदान करने वाले हमारे सैनिकों के वीरतापूर्ण कार्यों के बारे में लोगों, खासकर युवाओं को पता चल सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि सशस्त्र बलों के जवान देश को गौरवान्वित करके युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे।
अभियान के दौरान तैराकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें गंभीर थकावट और अशांत समुद्री परिस्थितियां शामिल थीं। क्षेत्र में कई बार घातक समुद्री जीवों से सामना हुआ। पूरा अभियान बिना किसी दुर्घटना के पूरा होना शानदार उपलब्धि रहा, क्योंकि भाग लेने वाले अधिकांश सैन्य कर्मचारी पहली बार खुले समुद्र में तैराकी कर रहे थे। इस कार्यक्रम के दौरान अभियान दल ने रक्षा मंत्री को अभियान ध्वज सौंपा। ध्वज-समारोह के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, अंडमान और निकोबार कमांड के कमांडर-इन-चीफ एयर मार्शल साजू बालाकृष्णन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।