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कोलकाता, 10 अगस्त। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने आर.जी. कर अस्पताल में महिला डॉक्टर की बलात्कार और हत्या के मामले की जांच के लिए 11-सदस्यीय ‘जांच समिति’ का गठन किया है। इस समिति में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस से जुड़े लोगों को शामिल करने की वजह से इसकी निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
भाजपा नेता अमित मालवीय ने अपने ट्वीट में इस समिति के कुछ सदस्यों की राजनीतिक पृष्ठभूमि को उजागर करते हुए इसे एक ‘शर्मनाक’ कदम बताया है। शनिवार सुबह किए गए ट्वीट में मालवीय ने आरोप लगाया है कि इस समिति में कुछ ऐसे लोग शामिल हैं जो तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हुए हैं, जिससे निष्पक्ष जांच की उम्मीद कम हो जाती है।
मालवीय ने ट्वीट में बताया कि समिति के एक सदस्य निरंजन बागची, जो कि एक इंटर्न हैं, तृणमूल की छात्र शाखा टीएमसीपी (तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद) के सक्रिय सदस्य हैं।
इसके अलावा, समिति के एक और इंटर्न, सरीफ हसन, को भी तृणमूल का सक्रिय सदस्य बताया गया है। मालवीय ने दावा किया है कि इनकी राजनीतिक संबद्धता समिति की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती है।
उन्होंने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस समिति की अध्यक्ष, बुलबुल मुखर्जी, को भी तृणमूल कांग्रेस के विधायक अतिन घोष के साथ देखा गया है। यह स्थिति ममता बनर्जी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करती है।
मालवीय ने अपने में इस बात पर जोर दिया कि इस जांच समिति की संरचना से स्पष्ट हो जाता है कि यह जांच पूरी तरह से एक ढकोसला है और इससे न्याय की उम्मीद करना व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी का ‘दागदार हाथ’ इस पूरे मामले में दिखाई देता है और यह न्याय की हत्या का उदाहरण हो सकता है।