कोलकाता, 12 मई ।

पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) एक बार फिर कानूनी मुश्किलों में फंस सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार यदि इस महीने के अंत तक माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों और ग्रुप ‘सी’ व ‘डी’ के गैर-शिक्षकीय पदों पर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं होती है, तो अवमानना याचिका का सामना करना पड़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने तीन अप्रैल को पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 शिक्षकीय व गैर-शिक्षकीय नियुक्तियों को रद्द करते हुए निर्देश दिया था कि डब्ल्यूबीएसएससी 31 मई तक नई भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करे और पूरी प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी कर ले।

हालांकि, इस डेडलाइन के समाप्त होने में अब केवल 19 दिन शेष हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार डब्ल्यूबीएसएससी को अब तक राज्य शिक्षा विभाग से यह स्पष्ट सूचना नहीं मिली है कि कितने रिक्त पदों पर नियुक्ति की जानी है।

कानूनी जानकारों का मानना है कि यदि आयोग समय पर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं करता, तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना के तहत उस पर अवमानना की कार्यवाही की जा सकती है।

इस बीच, शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के लिए तकनीकी प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देने का कार्य जारी है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर राशिदी की खंडपीठ के उस आदेश को बरकरार रखा था जिसमें 25 हजार 753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था। कोर्ट ने यह भी माना कि राज्य सरकार और आयोग “दोषमुक्त” और “दोषयुक्त” उम्मीदवारों के बीच पृथक्करण करने में असफल रहे, इसलिए पूरी चयन सूची को ही रद्द करना पड़ा।

इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार और डब्ल्यूबीएसएससी ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है।