कोलकाता, 11 अप्रैल । बिल बकाया होने पर  निजी अस्पताल  मृत मरीजों  के शव को रोक नहीं सकेंगे  इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य नियामक आयोग ने सख्त निर्देश दिए हैं। आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि इस तरह के मामलों पर अब सख्त कानून लागू किया जाएगा।

हर साल राज्य स्वास्थ्य नियामक आयोग के पास कई शिकायतें आती थीं कि मरीज की मृत्यु के बाद भी अस्पताल पूरा बिल चुकता न होने पर शव पर रोक लगा देते हैं। अब आयोग ने साफ कर दिया है कि बकाया बिल वसूलने के लिए शव को रोके रखना अवैध होगा।

आयोग के सचिव आर्शद वारसी ने कहा कि जब हम कई निजी अस्पतालों को बुलाते हैं, तो वे कहते हैं कि हमारा भी सोचिए, हमारा काफी पैसा बकाया है। लेकिन हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि शव के मामले में कोई भी बहाना स्वीकार नहीं किया जाएगा।

हाल ही में बंगाल में प्रोग्रेसिव नर्सिंग होम एसोसिएशन के राज्य सम्मेलन में ऑल इंडिया नर्सिंग होम एसोसिएशन के चेयरमैन एच. एम. प्रसन्ना ने भी कहा कि बंगाल के नर्सिंग होम्स में सेवा भाव की कमी है।

इस पर सवाल उठने लगे हैं कि क्या यही वजह है कि बड़ी संख्या में बंगाली मरीज इलाज के लिए दक्षिण भारत का रुख कर रहे हैं?

आयोग के सचिव आर्शद वारसी ने इस ओर इशारा करते हुए कहा कि जब कोई मरणासन्न मरीज किसी निजी नर्सिंग होम में भर्ती होता है, तो पहले ही दिन उस पर भारी संख्या में टेस्ट थोपे जाते हैं। जरूरी न होने पर भी एमआरआई, सीटी स्कैन जैसे जांच कराई जाती हैं। इससे पहले ही दिन मरीज का बिल 50 से 60 हजार रुपये तक पहुंच जाता है। यह सही नहीं है।

इस नये नियम के बाद निजी अस्पतालों के प्रबंधन ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अगर नया कानून लागू होता है तो मरीजों के परिजन बकाया भुगतान से बचने की कोशिश करेंगे। हालांकि इस पर भी आयोग ने कहा है कि मरीज के अधिकारों की रक्षा करना उनकी प्राथमिकता है।