उदयपुर, 1 सितंबर। धर्मांतरित हुए परिवारों को जनजाति आरक्षण का लाभ लेने से वंचित करने के लिए अब ग्राम सभाओं में इस संबंध में प्रस्ताव पारित कराए जाएंगे। उदयपुर सांसद डॉ मन्नालाल रावत की पहल पर इस योजना पर काम शुरू हो गया है।
सांसद डॉ रावत ने इस संबंध में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को लिखे पत्र में कहा है कि प्रदेश में विशेष ग्राम सभाओं का आयोजन किया जाए। उसके एजेंडे में विशिष्ट संस्कृति छोड़ कर ईसाई व इस्लाम धर्म अपनाने वाले परिवारों का सांस्कृतिक सर्वे कराने का प्रस्ताव लिया जाए। सर्वे के बाद ग्राम सभाओं में ही धर्मांतरित परिवारों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने संबंधी प्रस्ताव पारित कराए जाएंगे। पूर्व में मध्यप्रदेश राज्य की कई ग्राम सभाओं में इस तरह के प्रस्ताव पारित किए जा चुके हैं।
सांसद रावत ने बताया कि अनुसूचित जनजातियों की पहचान के लिए पांच मानक स्थापित किए गए हैं जिनमें आदिम लक्षण, विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव, बड़े पैमाने पर समुदाय में संकोच व पिछड़ापन शामिल हैं। इनके आधार पर राज्य में अनुसूचित जनजातियों की मान्यता है। संविधान के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उक्त पांच मानकों में से यदि कोई सदस्य किसी भी एक मानक से बाहर हो तो उनके लिए यह प्रावधान है कि वह अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से बाहर हो जाएगा। धर्मांतरित सदस्य को अनुसूचित जनजाति का लाभ देय नहीं होगा।