
पूर्वी सिंहभूम, 11 अगस्त । जिले के विभिन्न सरकारी विद्यालयों की 28 छात्राओं ने सोमवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ईसरो) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी एसएचएआर), श्रीहरिकोटा का शैक्षणिक भ्रमण किया। साइंस ओलंपियाड के माध्यम से चयनित इन छात्राओं के लिए यह यात्रा ज्ञान, अनुभव और प्रेरणा से भरपूर रही। इस अवसर के लिए छात्राओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और जिला प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया।
यात्रा के दौरान छात्राओं ने सबसे पहले मिशन कंट्रोल सेंटर (एमसीसी) का दौरा किया, जहां उन्होंने उपग्रह प्रक्षेपण की पूरी प्रक्रिया, विभिन्न नियंत्रण प्रणालियों और रीयल-टाइम डेटा मॉनिटरिंग के तरीकों को प्रत्यक्ष रूप से देखा। इसके बाद उन्होंने लॉन्च पैड कॉम्प्लेक्स का निरीक्षण कर रॉकेट को खड़ा करने, ईंधन भरने और प्रक्षेपण से पहले की तैयारियों की बारीकियों को समझा। सैटेलाइट इंटीग्रेशन और टेस्टिंग फैसिलिटी में जाकर छात्राओं ने जाना कि उपग्रह में सेंसर, संचार उपकरण और सौर पैनल कैसे लगाए जाते हैं और उन्हें अंतरिक्ष की कठोर परिस्थितियों में काम करने के लिए कैसे टेस्ट किया जाता है। इस दौरान विशेषज्ञ वैज्ञानिकों ने उन्हें चंद्रयान और गगनयान जैसे मिशनों की तकनीकी चुनौतियों और उपलब्धियों के बारे में भी जानकारी दी।
इसरो भ्रमण के बाद छात्राओं ने आरएमके ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन्स के इंजीनियरिंग कॉलेज का दौरा किया, जहां उन्होंने सीएनसी मशीन, 3डी प्रिंटिंग और ऑटोमेशन तकनीक को प्रत्यक्ष रूप से देखा। उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और रोबोटिक्स के प्रोटोटाइप दिखाए गए। विभागाध्यक्षों ने इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम, प्रोजेक्ट वर्क और करियर अवसरों के बारे में विस्तार से चर्चा की।
इस यात्रा के दौरान कार्यपालक दंडाधिकारी मृत्युंजय कुमार, सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा नेहा संजना खलखो सहित सात प्रशिक्षकों की टीम ने छात्राओं के आवास, भोजन, परिवहन और सुरक्षा की संपूर्ण व्यवस्था उपायुक्त के निर्देशानुसार सुनिश्चित की।
उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने कहा कि यह अनुभव केवल एक भ्रमण नहीं, बल्कि छात्राओं के सपनों को पंख देने का अवसर है। इसरो और इंजीनियरिंग कॉलेज में जाकर उन्होंने विज्ञान और तकनीक की उस दुनिया को देखा, जो अब तक किताबों तक सीमित थी। ऐसे शैक्षणिक अवसर न केवल विज्ञान और तकनीक के प्रति उनकी रुचि बढ़ाएंगे, बल्कि उनके आत्मविश्वास और नवाचार की भावना को भी प्रोत्साहित करेंगे, जिससे वे भविष्य में देश के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास में अहम योगदान दे सकेंगी।