नई दिल्ली, 16 जुलाई। रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में 17 जून को हुई ट्रेन दुर्घटना की अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वचालित सिग्नल क्षेत्रों में ट्रेन परिचालन के प्रबंधन में कई स्तरों पर चूक और लोको पायलटों तथा स्टेशन मास्टरों की अपर्याप्त काउंसलिंग के कारण मालगाड़ी और कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुईं।
सीआरएस रिपोर्ट में रेल प्रशासन की खामियों को उजागर करते हुए कहा गया है, “अनुचित प्राधिकार और वह भी पर्याप्त सूचना के बिना, ऐसी घटना एक ‘प्रतीक्षारत दुर्घटना’ थी।
रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्वचालित ट्रेन-सुरक्षा प्रणाली (कवच) को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर लागू करने की भी सिफारिश की है। इस दुर्घटना में मालगाड़ी के लोको पायलट सहित 10 लोगों की मौत हो गई थी।
सीआरएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बिजली चमकने के कारण रंगापानी और चत्तरहाट के बीच के रिले हट के कुछ सर्किट और फ्यूज शॉर्ट कर गये थे, जिसके चलते सिग्नल लाल हो गये थे। ऐसी स्थितियों में स्टेशन स्टाफ के द्वारा लोको पायलट एवं गार्ड को कुछ पेपर अथॉरिटी देश भर में दिये जाते हैं और इस केस में भी दिये गये थे। ऐसे केस में ऑटोमेटिक टेरिटरी में लोको पायलट का प्रोटोकॉल है कि लाल पर रुको, दिन में 1 मिनट और रात में 2 मिनट और 15 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड पर चलो। यह प्रोटोकॉल देश भर में सब जगह समान है, और इस केस में भी यही प्रोटोकॉल फॉलो हुए थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुर्भाग्य से, मालगाड़ी के लोको पायलट ने अथॉरिटी को ठीक से इंटरप्रेट नहीं किया। जबकि कंचनजंगा ट्रेन के लोको पायलट ने सही इंटरप्रेट किया था और लाल पर रुक कर चला था। इस स्थिति के बाद रेलवे ने फैसला लिया है कि अथॉरिटी फॉर्म को चेंज किया जाए, जिससे ग़लत इंटरप्रिटेशन की संभावना ना रहे। एलपी/एएलपी के प्रशिक्षण को और अधिक सशक्त किया है। अलग-अलग जोन के अथॉरिटी फॉर्म को मानकीकृत किया, जिससे देश भर में लोको पायलट एक ही फॉर्म देखें। सिग्नलिंग उपकरण की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए आरडीएसओ की अध्यक्षता में जोन के साथ एक्शन प्लान बनाया जा रहा है।
जांच के बाद, सीआरएस ने पाया कि दुर्घटना में शामिल मालगाड़ी के लोको पायलट को दोषपूर्ण सिग्नल पार करने के लिए गलत पेपर अथॉरिटी या टी/ए 912 जारी किया गया था। पेपर अथॉरिटी ने यह निर्दिष्ट नहीं किया कि दोषपूर्ण सिग्नल पार करते समय मालगाड़ी को किस गति का पालन करना चाहिए।
कंचनजंगा एक्सप्रेस और मालगाड़ी के अलावा, सिग्नल खराब होने के बाद दुर्घटना होने तक पांच अन्य ट्रेनें सेक्शन में प्रवेश कर चुकी थीं। सीआरएस ने उल्लेख किया कि एक ही प्राधिकरण जारी करने के बावजूद, लोको पायलटों द्वारा अलग-अलग गति पैटर्न का पालन किया गया, जिसमें केवल कंचनजंगा एक्सप्रेस ने 15 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलने और प्रत्येक खराब सिग्नल पर एक मिनट रुकने के मानदंड का पालन किया।