जोधपुर, 15 दिसम्बर। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की अध्यक्ष चंद्रकला जैन और सदस्य अफसाना खान ने आइएएस कृष्ण कुणाल के खिलाफ आपराधिक अवमानना प्रकरण को समाप्त कर उन्हें बरी कर दिया है।

लक्ष्मण खेतानी ने अवमानना याचिका दायर कर कहा था कि जिला मंच ने 25 नवंबर 2006 को उनका परिवाद मंजूर करते हुए एक माह में जोधपुर के श्याम नगर में भूखंड संख्या 248,249,357 और 404 का भौतिक और रिक्त कब्जा देने का निर्देश नगर सुधार न्यास को दिया था,लेकिन तत्समय न्यास सचिव होने के बावजूद कुणाल ने कुछ नहीं किया।

कृष्ण कुणाल की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि 17 दिसंबर 2021 को जिला आयोग में खेतानी ने प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि कुणाल का कार्यकाल जेडीए में अल्पावधि का रहा है और उन्होंने आदेश की पालना पूर्ण करने के पूरे प्रयास किए थे सो वह अवमानना प्रकरण से उनका नाम हटाना चाहता है,लेकिन एक माह बाद डाक से जिला आयोग को आवेदन कर कहा कि वह अपने पूर्व के प्रार्थना पत्र को वापस लेकर कुणाल के खिलाफ कार्रवाई करना चाहता है। जिला आयोग ने 21 मार्च 2022 को डाक से प्राप्त आवेदन को दस हजार रुपए की कॉस्ट से खारिज कर दिया,लेकिन विरोधावासी निर्णय देकर अवमानना याचिका से कुणाल का नाम यह कहकर हटाने से इनकार कर दिया कि उनके खिलाफ प्रसंज्ञान लिया जा चुका है । अधिवक्ता भंडारी ने कहा कि कुणाल की ओर से दायर निगरानी याचिका को गत 26 सितम्बर को स्वीकार कर राज्य आयोग ने जिला आयोग को प्रकरण पुन: सुनने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि परिवादी खेतानी अपने वाद का मास्टर है और एक बार उसने अपराधिक कार्रवाई से कुणाल का नाम हटाने का प्रार्थना पत्र पेश कर दिया और बाद में इस प्रार्थना पत्र को वापिस लेने का प्रार्थना पत्र जब कॉस्ट के साथ खारिज कर दिया तो कुणाल के खिलाफ चार्ज सुनाए जाने के बावजूद अब अवमानना याचिका खारिज की जाएं। खेतानी की ओर से बहस करते हुए कहा गया कि एक बार चार्ज सुनाए जाने के बाद आपराधिक अवमानना कार्रवाई समाप्त नहीं की जा सकती है।

जिला आयोग ने अपने आदेश में कहा कि खेतानी ने 17 दिसंबर 2021 का प्रार्थना पत्र वापस लेने का डाक से जो आवेदन किया था,उसे कॉस्ट से खारिज करने के बाद उसकी ओर से कॉस्ट भी जमा करवा दी गई और अवमानना कार्रवाई चलाने के मास्टर खेतानी है और उनके 17 दिसंबर 2021 के प्रार्थना पत्र से कुणाल को हटाना चाहते थे सो कृष्ण कुणाल के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्रवाई समाप्त की जाती है और उनकी ओर से पेश जमानत मुचलके निरस्त किए जाते है।