अगरतला, 7 नवंबर। त्रिपुरा सरकार की कार्यप्रणाली पर चिंता व्यक्त करते हुए विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 20 नवंबर से राज्य सरकार के खिलाफ दो सप्ताह लंबी विरोध रैलियां और बैठकें आयोजित करने का एलान किया।
माकपा ने आरोप लगाया है कि ग्रामीण इलाकों में लोग नौकरी के अवसरों की कमी के कारण पीड़ित हैं जबकि कानून व्यवस्था की स्थिति अब ‘बहुत चिंताजनक’ है।
माकपा के प्रदेश सचिव जितेंद्र चौधरी ने बताया कि पार्टी ने त्रिपुरा की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत चर्चा की और 20 नवंबर से राज्य सरकार के खिलाफ दो सप्ताह लंबी विरोध रैलियां और बैठकें आयोजित करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में रहने वाले लोगों की स्थिति भी खराब हो रही है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत पिछले कुछ वर्षों में मनरेगा और कृषि, बागवानी, वानिकी और मत्स्य पालन जैसे विभागों की विभिन्न योजनाओं को लगभग समाप्त कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि जहां गरीब लोग अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा के मंत्री, विधायक और नेता अपनी विलासिता पर सार्वजनिक धन खर्च कर रहे हैं।
चौधरी ने आरोप लगाया है कि दूसरी भाजपा-आईपीएफटी सरकार के पिछले सात महीनों में आदिवासियों सहित आम लोगों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित कर दिया गया है। ग्रामीणों को मनरेगा के तहत केवल कुछ मानव दिवस मिलते हैं और मजदूरी का बड़ा हिस्सा भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा छीन लिया जा रहा है। साथ ही ग्रामीण आबादी के एक बड़े हिस्से को उनके वैध अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
चौधरी ने आदिवासी क्षेत्रों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए राज्य के आदिवासी स्वायत्त जिला परिषद क्षेत्रों में जल्द से जल्द ग्राम समिति के चुनाव की भी मांग की। उन्होंने ‘फर्जी वादे’ करने के लिए टीआईपीआरए मोथा की भी आलोचना की और दावा किया कि अधिक से अधिक युवा संगठन छोड़ रहे हैं।