राजस्थान में 25 लाख रुपए के गौ उत्पादों का विक्रय

उदयपुर, 2 मई। अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर गौसेवा का उत्सव मनाया गया। इस दिन को ‘सृष्टि की संरक्षिका गौमाता’के रूप में मनाते हुए व्यापक स्तर पर गौ उत्पादों के विक्रय कार्यक्रम आयोजित किए गए।
क्षेत्रीय गौ सेवा संयोजक राजेन्द्र पामेचा ने बताया कि पूरे राजस्थान में कुल 78 स्थानों पर गौउत्पाद विक्रय केंद्र स्थापित किए गए, जहां से लगभग 25 लाख रुपए के गौ उत्पादों का विक्रय हुआ। उन्होंने कहा कि गौ माता के द्वारा रोगमुक्त, कर्जमुक्त, प्रदूषण मुक्त, अपराधमुक्त, कुपोषणमुक्त, विषमुक्त, अन्नयुक्त, ऊर्जायुक्त, रोजगार युक्त भारत का निर्माण कर सकते हैं। इसलिए हर परिस्थिति में देश में गौवंश का पालन, संवर्धन एवं संरक्षण करना प्रत्येक भारतवासी का दायित्व है। शास्त्रों मे लिखा है “गौ मय वसते लक्ष्मी” देशी गौ माता जिसके सूर्य केतु नाड़ी (कुबड़) है, उसके पंचगव्य से बने उत्पाद जैसे गौ अर्क, धूपबत्ती, गौ घृतनस्य, गौ घृत बाम आदि से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिसके कारण बीपी, शुगर, कैंसर आदि बीमारियों से बचा जा सकता है।
उदयपुर में प्रमुख 7 केंद्रों सीए सर्कल, सेक्टर-4 बस स्टैंड, सेक्टर-14, बेदला, बोहरा गणेशजी, विद्या निकेतन आदि स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित हुए। मुख्य आयोजन में जैन समाज के 5000 से अधिक बंधु उपस्थित रहे जिन्होंने अक्षय तृतीया के पारणे के साथ गो उत्पादों का उपयोग कर इसे और भी पावन बनाया। संत कोमल मुनि की गरिमामयी उपस्थिति में गौ उत्पाद किट का विमोचन किया गया। राजस्थान के अन्य प्रमुख केंद्रों जैसे बांसवाड़ा, डूंगरपुर, कोटा, बारां, जोधपुर, बालोतरा, सोजत और जयपुर में भी समाजजन ने अत्यंत उत्साहपूर्वक भाग लिया।
इस अवसर पर अखिल भारतीय गौ सेवा संयोजक अजीत महापात्रा ने अपने संदेश में कहां कि जल, जमीन, जंगल, जीव समूह, पर्यावरण, मनुष्य एवं संस्कारों को बचाए रखना है, तो भारतीय गौ माता को आधार बनाना होगा। प्रत्येक व्यक्ति को गौव्रती बनाना है एवं अपने घर एक गौ उत्पाद अवश्य लाना है।