
पूर्व बर्दवान, 23 मई । कृषि बीमा में भी भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है। आरोप है कि जिन लोगों के पास एक एकड़ भी जमीन नहीं है, जो खेती भी नहीं करते हैं, उन्हें भी रबी सीजन की फसलों के लिए कृषि बीमा मुआवजा मिला है। हालांकि, रबी सीजन की फसल की खेती के वास्तविक पीड़ित मुआवजा पाने से वंचित रह गए हैं। पूर्व बर्दवान के रायना एक नंबर ब्लॉक के पलाशन ग्राम पंचायत के शकनारा गांव के किसान मामले को लेकर काफी आक्रोशित हैं।
उन्होंने ब्लॉक बीडीओ और एडीए, जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों और यहां तक कि रायना के विधायक को भी लिखित शिकायत देकर घटना के जांच की मांग की है। प्रभावित किसानों ने इस भ्रष्टाचार मामले में कृषि विभाग द्वारा नियुक्त बीमा कंपनी के कर्मचारियों पर आरोप लगाया है।
किसानों ने प्रशासन को दी शिकायत में बताया है कि उन्होंने रबी सीजन के दौरान कृषि बीमा के लिए आवेदन किया था। लेकिन शकनारा गांव में मुट्ठी भर लोगों को छोड़कर किसी को भी बीमा राशि नहीं मिली। जिन लोगों के खातों में बीमा राशि गई है, उनमें से कोई भी खेती नहीं करता। उनके परिवार के कुछ सदस्य सरकारी कर्मचारी हैं। किसानों ने शिकायत में यह भी कहा कि ऐसे कई लोग हैं जिन्हें बीमा राशि तो मिल गई है, लेकिन उनके पास अपने इलाके में जमीन नहीं है।
उनके पास अन्य इलाकों में जमीन दिखाई गई है। ऐसे भी लोग हैं जिन्हें एक ही सीजन में दो बार बीमा राशि प्राप्त हुई है। वंचित किसानों ने आरोप लगाया है कि बीमा कंपनी की ओर से किसानों से जानकारी एकत्र करने का काम करने वाले काजल मुखर्जी और सैकत मुखर्जी के रिश्तेदारों को भी बीमा राशि प्राप्त हो गई है। जब काजल से यह जानने के लिए फोन किया गया कि यह घटना कैसे घटी, तो उन्होंने पत्रकार की पहचान जानने के बाद फोन काट दिया।
सैकत ने कहा कि वह उस कंपनी में काम नहीं करता है। उसने दावा किया कि वह एक मोबाइल फोन कंपनी में काम करता है।
इस बीच, शकनारा गांव के निवासी शिवप्रसाद मुखर्जी ने कहा कि शकनारा गांव में आलू की खेती नहीं होती है। इसलिए शकनारा गांव के किसी भी किसान द्वारा आलू के मुआवजे के लिए बीमा लेने का सवाल ही नहीं उठता है। हालांकि, बीमा राशि लेने के लिए शकनारा गांव के 15 लोगों की इस इलाके में जमीन दिखाई गई है, जिसमें पास के हिजलना, नाथू और मेमारी के गोपगंटा दो शामिल हैं। उन्हें फर्जी दस्तावेजों के जरिए कृषि बीमा में लाखों रुपए दिए गए हैं। जिनमें नौ से 10 लोगों के पास कोई जमीन नहीं है।
किसानों द्वारा लगाए गए आरोपों के संबंध में संबंधित प्रशासनिक विभागों के अधिकांश अधिकारियों ने अपना मुंह बंद रखा है। उनमें से कोई भी आरोपों के बारे में बोलने को तैयार नहीं हुआ। इस संबंध में प्रखंड बीडीओ अजय दंडपाठ कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। इसी तरह, जब प्रखंड कृषि पदाधिकारी (एडीए) नीलाद्रि बसाक से वंचित किसानों द्वारा लाई गई शिकायतों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया। प्रयासों के बावजूद रायना एक पंचायत समिति के कृषि निदेशक और ब्लॉक के तृणमूल अध्यक्ष बामदेव मंडल से फोन पर संपर्क संभव नहीं हो सका।
हालांकि, जिला प्रशासन के एक अधिकारी के अनुसार, “ब्लॉक एडीए को किसानों द्वारा की गई शिकायतों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। जिला प्रशासन रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद अगला कदम उठाएगा।” विधायक (रायना) शम्पा धारा ने कहा कि उन्होंने जिला प्रशासन से यह पता लगाने को कहा है कि इस घटना में कौन शामिल है।