उदयपुर, 29 मार्च। आप और हम सप्ताह में महज़ एक दिन बिना प्रेस के कपड़े पहकर, बिना साबुन-शैम्पू और बिना गर्म किए पानी से नहाकर, बिना पका खाना खाकर और बिना मोटर साइकिल के दफ्तर जाकर, ऊर्जा की बड़ी खपत बचा सकते हैं।

ये कहना है आईआईटी मुंबई के प्रो. चेतन सिंह सोलंकी का, जो देशभर में ‘सोलर गांधी’ और ‘सोलर मेन ऑफ इंडिया’ के नाम से विख्यात हैं। शुक्रवार को उदयपुर के विद्या भवन पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा के माध्यम से देश ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की बात कही जा रही है, लेकिन ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए ऊर्जा उपभोग को नियंत्रित करना पड़ेगा। इसके लिए हर व्यक्ति को न्यूनतम ऊर्जा खपत करने की शपथ लेनी होगी व उसी अनुरूप जीवन शैली बनानी होगी। अपनी ऊर्जा खपत को निरंतर बढ़ाते जाना तथा उस अनुपात में सोलर पावर पैदा करने के साधन लगाना ऊर्जा स्वराज नहीं है।

ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने व देश में ऊर्जा स्वराज लाने के लिए प्रो सोलंकी ने एएमजी सूत्र अर्थात् एवॉइड, मिनिमाइज तथा जनरेट को समझाते हुए कहा कि एक तिहाई ऊर्जा, जो हम अनावश्यक रूप में खर्च करते हैं, उसे एवॉइड कर लें व एक तिहाई मामलों में ऊर्जा खपत को मिनिमाइज कर लें, तो मात्र एक तिहाई ही सोलर ऊर्जा जनरेट करनी पड़ेगी।

हर व्यक्ति, हर परिवार इस तरह सोलर पावर पैदा कर खपत को नियंत्रित करते हुए उपयोग करे तो कोयला आधारित बिजली उत्पादन नहीं करना पड़ेगा, जिससे ट्रांसमिशन के लिए ट्रांसफार्मर, ग्रिड, तारों जैसे कई उपकरणों, साधनों की जरूरत न्यूनतम हो जायेगी। वैश्विक स्तर पर पर्यावरण की हानि भी नहीं होगी।

अपनी इस मुहिम को लेकर प्रो. चेतन सिंह सोलंकी अपनी सोलर आधारित बस से ग्यारह वर्षों की ऊर्जा स्वराज यात्रा पर हैं। करोड़ों लोगों को इस अभियान से जोड़ते हुए पचपन हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुके प्रो. सोलंकी वर्ष 2030 तक इसी बस में रहते हुए ऊर्जा स्वराज को देश के घर—घर तक ले जाएंगे।