नई दिल्ली, 20 मार्च। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा एवं खेल मामलों के मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने राहुल गांधी द्वारा शक्ति पर दिए गए बयान के ऊपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सनातन की भक्ति शक्ति में है और देश की प्रत्येक माता और बहन हमारे लिए शक्ति स्वरूप है। कांग्रेस पार्टी शक्ति के बहाने मातृशक्ति के स्वाभिमान को कुचलना चाहती है और ये ज़्यादा पुरानी बात नहीं है, जब हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में अपनी जीत को 95 प्रतिशत हिंदुओं की हार के रूप में दिखाया था।
बुधवार को मीडिया से बातचीत में अनुराग ठाकुर ने कहा कि पहले जो काम राहुल गांधी के छुटभैये नेता करते थे, वह काम अब राहुल गांधी स्वयं कर रहे हैं। श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान तमिलनाडु देश का एक राज्य ऐसा भी था, जिसने वहां के मंदिरों में इसके सीधे प्रसारण पर रोक लगाई थी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को अपना निर्णय देना पड़ा। इसी राज्य के मुख्यमंत्री के बेटे सनातन को बीमारियों से जोड़कर खत्म करने की बात करते हैं। उसी राज्य सरकार में घोटाले के आरोपित मंत्री सनातन पर नकारात्मक टिप्पणी करते हैं। उन्होंने कहा कि संदेशखाली में एक महिला मुख्यमंत्री की नाक के नीचे शक्ति को कुचलने और अपमानित किया जाता है। इसके बावजूद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री अपने नेता को संरक्षण देती है परंतु आज संदेशखाली का संदेश देश में गली-गली तक पहुंच चुका है। अगर हमने और देश के मीडिया ने आंदोलन नहीं किया होता तो संदेशखाली का सच बाहर नहीं आता।
हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता के सवाल पर अनुराग ठाकुर ने कहा, “उनसे अपना घर नहीं संभल पा रहा है तो वह हमारे ऊपर आरोप लगा रहे हैं। पिछले कई महीने से लगातार उनके विधायक आरोप लगा रहे थे कि उनका मुख्यमंत्री सुनता नहीं है। उनके खुद के काम अपनी सरकार में नहीं हो रहे थे। जो जनता से वादे किए गए थे, वे पूरे नहीं हुए। सरकार बनने के पहले दिन से उनका अहंकार झलक रहा था। आज 15 महीने बीत जाने के बाद भी नारी शक्ति को वादे के मुताबिक 1500 रुपये प्रति महीने नहीं मिले। 5 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था, नहीं दिया। दो रुपये प्रति किलो गोबर और 100 रुपये प्रति किलो दूध खरीदने का वादा किया था, नहीं पूरा किया। स्टार्टअप फंड के लिए 600 करोड़ रुपये नहीं दिए। फल किसानों को सही और मुंह मांगे दाम देने का वादा किया था, नहीं दिया। आलम ये था कि किसानों को अपने फल नदी में बहाने पड़े।