
रांची, 28 मई । आजसू पार्टी ने आरोप लगाया है कि झामुमो और कांग्रेस सरना आदिवासियों का हित नहीं चाहते, इसी कारण हेमंत सरकार पेसा कानून (पंचायत अनुसूचित क्षेत्र विस्तार अधिनियम, 1996) को हुबहू लागू नहीं कर रही है।
पार्टी ने बुधवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि हेमंत सरकार पेसा कानून के संबंध में 2019 और 2024 के चुनावों में किए गए वायदों को पूरा नहीं कर रही है। इससे सरना आदिवासी समुदाय में गहरा असंतोष है।
आजसू पार्टी के मुख्य प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत और प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि झामुमो और कांग्रेस सरना आदिवासी विरोधी एजेंडा पर कार्य कर रहे हैं। पूर्व में भी दोनों का इतिहास रहा है कि दोनों दलों ने झारखंड की भोली भाली जनता को छलने का काम किया और वर्ष 1993 में झारखंड आंदोलन की सौदेबाजी कर झारखंड राज्य निर्माण नहीं होने दिया था।
उन्होंने कहा कि शराब और बालू माफिया के दबाव में झामुमो और कांग्रेस पेसा कानून को हूबहू लागू नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि आजसू पार्टी मांग करती है कि हेमंत सरकार तत्काल पेसा कानून को लागू करे और झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 में आवश्यक संशोधन करे।
आजसू नेताओं ने कहा कि हेमंत सरकार पेसा कानून लागू करने में पूरी तरह विफल रही है, जो सरना आदिवासी समुदायों के स्वशासन और रूढ़िवादी अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया था। यह कानून आदिवासियों को जल, जंगल और जमीन पर स्वामित्व के साथ-साथ उनकी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को संरक्षित करने का अधिकार देता है। लेकिन पांच साल बीत जाने और दोबारा सत्ता में आने के बावजूद, सरकार ने पेसा कानून को लागू करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यह झारखंड के आदिवासियों के साथ विश्वासघात है। ग्राम सभाओं को सशक्त करने और स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देने का वादा केवल कागजी साबित हुआ है। सरकार की इस उदासीनता से सरना आदिवासी समुदायों के सामाजिक और आर्थिक विकास को गहरा नुकसान हुआ है।
आजसू नेताओं ने कहा कि हमारी प्राथमिकता है कि गांव सशक्त हों, क्योंकि गांवों की मजबूती से ही झारखंड और देश मजबूत होगा। हम आदिवासी जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखेंगे और सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।