
तिरुवनंतपुरम , 23 जून । दक्षिण भारत से कांग्रेस के लिए अच्छी खबर आई है। केरल की निलाम्बुर विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार ने शानदार जीत हासिल की है। कांग्रेस उम्मीदवार आर्यदान शौकत ने इस सीट पर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के उम्मीदवार एम.स्वराज को 11077 वोटों से हराया है।
सभी 19 राउंड की गिनती पूरी होने के बाद आर्यदान को कुल 77,737 वोट मिले, जबकि सीपीआई-एम के उम्मीदवार एम.स्वराज 66,660 वोटों के साथ दूसरे नंबर रहे हैं। तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय उम्मीदवार पी. अनवर को 19,760 वोट, जबकि चौथे स्थान पर रहे भाजपा उम्मीदवार एडवोकेट मोहन जॉर्ज को 8,648 वोट प्राप्त हुए हैं।
शौकत मलयालम फिल्मों के जाने-माने पटकथा लेखक हैं। उनके पिता आर्यदान मोहम्मद इसी सीट से 34 साल तक विधायक रहे हैं। शौकत पिछले 3 दशक से फिल्मों के साथ स्थानीय राजनीति से जुड़े हुए हैं।
आर्यदान शौकत की जीत पर केरल कांग्रेस के अध्यक्ष सनी जोसेफ ने कहा,” निलांबुर में उम्मीद के मुताबिक यूडीएफ ने बड़ी जीत दर्ज की है। आर्यदान शौकत बड़े अंतर से जीते हैं और हमें उनसे ऐसी ही उम्मीद भी थी। चुनाव से पहले प्रचार अभियान के दौरान भी हमें इसके संकेत मिल रहे थे और खुशी की बात है कि नतीजे उसके अनुरूप ही आ रहे हैं।”
उल्लेखनीय है कि चुनावी मैदान में दस उम्मीदवारों में से प्रमुख उम्मीदवार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के एम स्वराज, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के आर्यदान शौकत, एनडीए के मोहन जॉर्ज और निर्दलीय उम्मीदवार पी.वी. अनवर थे। यहां विधायक पी.वी. अनवर के इस्तीफे के बाद उपचुनाव हुआ है।
दरअसल, यह क्षेत्र पारंपरिक रूप से यूडीएफ का गढ़ रहा है। लेकिन पी.वी. अनवर ने पिछले दो चुनावों में एलडीएफ समर्थित उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी। इस निर्वाचन क्षेत्र में दो लाख तीस हजार से अधिक मतदाता हैं। क्षेत्र में दो सौ 63 मतदान केंद्र बनाए गए थे, जिनमें से चौदह बूथ संवेदनशील घोषित किए गए थे। मतदान 19 जून को सुबह सात बजे शुरू हुआ और शाम 6 बजे तक चला था।
केरल में दूसरी बार पिनाराई विजयन की सरकार बनने के बाद हुए उपचुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो स्थिति यूडीएफ-4 और एलडीएफ-1 की है। स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही एलडीएफ के मौजूदा सीट पर कब्जा करना यूडीएफ के लिए उम्मीद जगाता है। मौजूदा विधायक के निर्दलीय चुनाव लड़ने और अनवर के दबाव को न मानने के बावजूद कांग्रस की अगुवाई वाली यूडीएफ को मिली जीत और भी शानदार है।