भोपाल, 11 जून । मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई और पूर्व सांसद लक्ष्मण सिंह को कांग्रेस ने बुधवार को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। लक्ष्मण सिंह के राहुल गांधी, उमर अब्दुल्ला और राबर्ट वाड्रा को लेकर दिए गए बयानों को पार्टी ने अनुशासनहीनता माना। इसी के चलते अब उन्हें छह साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। कांग्रेस ने इसे अनुशासनहीनों को एक संदेश बताया है, तो वहीं भाजपा ने तंज कसा है।

कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने बताया कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने लक्ष्मण सिंह को छह वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उनकी प्राथमिक सदस्यता भी निरस्त कर दी गई है। नायक ने कहा कि यह संदेश है कि अनुशासन सबके लिए है। अनेक बार लक्षण सिंह ने पार्टी को असहज कर देने वाले बयान दिए थे। पिछला बयान था कि राहुल गांधी सोनिया गांधी आतंकवादियों के साथ खड़े हैं। इस बयान को बर्दाश्त नहीं किया गया और उनको निष्कासित कर दिया गया है। नायक ने कहा कि कांग्रेस भाजपा की तरह नहीं है। जहां मंत्री विजय शाह इस तरह के बयान के बाद भी बैठे हैं। लक्ष्मण सिंह को उसी दल में भाजपा डालेगी, जिसमें सुरेश पचौरी पड़े हुए हैं। कांग्रेस में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कोई भी हो, अनुशासनहीनता करने पर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।

वहीं, भाजपा ने लक्ष्मण सिंह के निष्कासन पर तंज कसा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह कांग्रेस संगठन का निर्णय है। इसमें मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है, लेकिन लक्ष्मण सिंह कभी-कभी कांग्रेस को सत्य का आईना दिखाते रहते हैं, तो कांग्रेस में सत्य का आईना दिखाने वालों का क्या हाल होता है। मुझे लगता है कि लोग जानते ही हैं और शायद वही लक्ष्मण सिंह के साथ हुआ है।

भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने कहा कि लक्ष्मण सिंह मेरे वर्षों पुराने मित्र हैं। जब उनके भाई साहब मुख्यमंत्री थे, तब से आज तक लक्ष्मण सिंह और हम मित्र हैं। बेबाकी से बोलते हैं। आज की तारीख में वे जो सवाल उठा रहे हैं। वो समयानुकूल हैं। इन प्रश्नों का जवाब कांग्रेस को आज नहीं तो कल देना ही पड़ेगा। अगर जवाब नहीं देंगे। तो जनता और कार्यकर्ता उन्हें इतना घेरेंगे कि वो लक्ष्मण सिंह का नाम लेकर पानी पिएंगे। मैं भाई लक्ष्मण सिंह के भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं देता हूं और ये भी कहता हूं कि आप अपनी लाइन को मत छोड़िएगा। सच कहना अगर बगावत है तो समझो हम भी बागी हैं। आप और हम इसी लाइन पर चलते रहेंगे। आज तक मुझे ऐसा लगा नहीं कि कभी उन्होंने भाजपा में आने की मंशा जाहिर की। व्यक्तिगत मित्रता के नाते भी कह रहा हूं कि वे भाजपा में नहीं आएंगे।

दूसरी ओर लक्ष्मण सिंह के निष्कासन पर भाजपा प्रवक्ता डॉ. हितेष वाजपेई ने कहा कि इस प्रकार से कांग्रेस के सृजन से विसर्जन की यात्रा शुरू होती है। खेल को समझिए, जीतू पटवारी ने संगठन की रचना पहले नहीं की। उन्होंने राहुल गांधी का फायदा उठाकर सबसे पहले अपने कट्‌टर विरोधी दिग्विजय सिंह के भाई को निपटा दिया। ये करके प्रदेश में एक मैसेज भी दे दिया। अब वो जिलाध्यक्षों की नियुक्ति करेंगे, जिससे पार्टी में उनका वर्चस्व कायम रहे। अभी तो शुरुआत हुई है आगे – आगे देखिए होता है क्या, जीतू भाई ने अपनी चालें चलना शुरू कर दिया है, जिसका पहला खामियाजा दिग्विजय गुट को देखने को मिला है।

उल्लेखनीय है कि लक्ष्मण सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने की शिकायतों के चलते 6 साल के लिए निष्कासित किया है। लक्ष्मण सिंह ने 24 अप्रैल को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, रॉबर्ट वाड्रा और जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला आतंकवादियों से मिले हुए हैं। लक्ष्मण सिंह ने राहुल गांधी को भी सोच समझकर बात करने की नसीहत देते हुए कहा था कि पार्टी को मुझे निकालना हो तो आज निकाल दे। हमारी पार्टी के नेता सोच समझकर बोले, नहीं तो उन्हें चुनाव में परिणाम भुगतना पड़ेंगे।

लक्ष्मण सिंह के बयान पर कांग्रेस ने संज्ञान लेते हुए नौ मई को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था। पार्टी की अनुशासन समिति के सदस्य सचिव तारिक अनवर ने उनसे 10 दिन में जवाब मांगा था। जवाब संतोषजनक नहीं होने के चलते उनके निष्कासन की अनुशंसा की गई थी। आलाकमान की ओर से मंजूरी मिलने के बाद कांग्रेस की अनुशासन समिति के सदस्य तारिक अनवर ने छह साल के लिए निष्कासित करने का आदेश जारी किया है।

विधायक और सांसद रह चुके हैं लक्ष्मण सिंह

मध्य प्रदेश की राजनीति में राघौगढ़ रियासत का दबदबा कहा जाता है। इस रियासत से दिग्विजय सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अब राज्यसभा सदस्य हैं। उनके बेटे जयवर्धन सिंह राघौगढ़ से विधायक हैं। दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा से विधायक रहे हैं। इससे पहले वे सांसद भी रहे, लेकिन अकसर कहा जाता है कि लक्ष्मण सिंह को उतनी तवज्जो नहीं मिली, जितना दिग्विजय सिंह के परिवार को मिली है। साल 2018 में जब 15 साल बाद मप्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो लक्ष्मण सिंह को उम्मीद थी कि वरिष्ठता के आधार पर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, लेकिन उनकी जगह दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को मंत्री बनाया गया। लक्ष्मण सिंह इससे आहत हुए। उन्होंने उस वक्त खुलकर विरोध नहीं जताया मगर गाहे-बगाहे अपनी पीड़ा जाहिर करते रहे।