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हाइब्रिड युद्ध में शांति के समय में भी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने की क्षमता
बेंगलुरु, 11 फरवरी । अंतरराष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनी ‘एयरो इंडिया’ में हिस्सा लेने आये 81 देशों के 162 से अधिक प्रतिनिधियों के साथ मंगलवार को रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन हुआ। इसका विषय ‘अंतरराष्ट्रीय रक्षा और वैश्विक जुड़ाव के माध्यम से लचीलापन निर्माण (ब्रिज)’ रखा गया। सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक समुदाय से उन्नत प्रणालियों के सह-विकास और सह-उत्पादन में भारत के साथ जुड़ने का आह्वान किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में नवीन दृष्टिकोण और मजबूत साझेदारी की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में 81 देशों के 162 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें 15 रक्षा मंत्री, 11 उप रक्षा मंत्री, 15 स्थायी सचिव और 17 सेवा प्रमुख शामिल थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के बीच का अंतर धुंधला हो रहा है, क्योंकि हाइब्रिड युद्ध में शांति के समय में भी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने की क्षमता है। साइबर स्पेस और आउटर स्पेस संप्रभुता की स्थापित परिभाषा को चुनौती दे रहे हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम तकनीक, हाइपरसोनिक और निर्देशित ऊर्जा जैसी विध्वंसकारी तकनीक युद्ध के चरित्र को बदलकर नई कमजोरियां पैदा कर रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन बदलावों का भविष्य के युद्धों पर गहरा असर पड़ेगा और चुनौतियों का सामना करने के लिए जरूरी क्षमताओं का पुनर्मूल्यांकन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्रियों ने एयरो इंडिया के आयोजन और विश्वस्तरीय निर्माताओं को एक ही छत के नीचे नवीनतम नवाचारों और प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करने के लिए रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने अपनी रक्षा और अन्य आवश्यकताओं के लिए भारत के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की। प्रतिनिधियों ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और नवीनतम उपकरणों और उत्पादों के सह-विकास और सह-उत्पादन की अपनी इच्छा व्यक्त की और भारत को लचीली आपूर्ति शृंखला में भागीदार बताया। उन्होंने शांति स्थापना में भारत की भूमिका और रक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में कई देशों की क्षमताओं को उन्नत करने की दिशा में इसके प्रयासों को स्वीकार किया।
विचार-विमर्श के दौरान साझा सुरक्षा चिंताओं पर भी चर्चा हुई, जिसमें मंत्रियों ने सर्वसम्मति से सशस्त्र संघर्ष से बचने पर सहमति जताई। अवैध मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध मछली पकड़ने, आतंकवाद और साइबर अपराध जैसी विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा करके इन खतरों के खिलाफ मिलकर लड़ने का संकल्प लिया गया। समापन भाषण देते हुए रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने रक्षा मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों और विशिष्ट अतिथियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने ब्रिज थीम के जरिये सहयोग के माध्यम से आपसी समृद्धि के नए क्षेत्रों की खोज करते हुए मौजूदा साझेदारी को जारी रखने के लिए आशा व्यक्त की।
इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत भी उपस्थित थे। सम्मेलन में निवेश के माध्यम से रक्षा क्षमता निर्माण, संयुक्त उद्यम और सह-उत्पादन, अनुसंधान एवं विकास में सहयोग, एआई और अंतरिक्ष में प्रशिक्षण और तकनीकी प्रगति, समुद्री सुरक्षा सहयोग और रणनीतिक साझेदारी जैसे प्रमुख पहलुओं पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान किया गया।———————-