नई दिल्ली। उस्ताद राशिद खान की मौत के सदमे से संगीत जगत उबर ही रहा है कि आज एक और दुखद खबर सामने आई है। दिग्गज शास्त्रीय गायिका स्वरयोगिनी प्रभा अत्रे का निधन हो गया है। उन्होंने शनिवार सुबह पुणे स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वह 90 साल की थीं।

शनिवार सुबह प्रभाताई को दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद उन्हें तत्काल दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि, डॉक्टर ने बताया कि वहां पहुंचने से पहले ही उनका निधन हो गया। कई लोग सोशल मीडिया के जरिए प्रभाताई को श्रद्धांजलि देते नजर आ रहे हैं।

संगीत के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उनसे संगीत की शिक्षा लेने वाले कई कलाकार आज शास्त्रीय संगीत में अपना योगदान दे रहे हैं। उनके संगीत वाद्ययंत्र ने कई लोगों को प्रेरित किया है।

प्रभा अत्रे को एक प्रतिभाशाली गायिका, संगीतकार, लेखिका, प्रोफेसर और हास्य कलाकार के रूप में याद किया जाएगा। ‘ख्याल’ गायकी के साथ उन्होंने ‘ठुमरी’, ‘दादरा’, ”गज़ल”, ‘शारीरिक संगीत’, ‘नाट्य संगीत’, ‘भजन’ और ‘भाव संगीत’ में भी महारत हासिल की। उन्होंने कई विदेशी विश्वविद्यालयों में भारतीय शास्त्रीय संगीत का अध्यापन किया। प्रभा अत्रे ने विज्ञान से स्नातक किया। वह अपनी मां इंदिरा अत्रे के गाने से प्रेरित थीं। उन्होंने भारत और विदेशों में कई प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण संगीत समारोहों में प्रदर्शन किया है।