
नदिया, 8 अप्रैल । नदिया जिले के से तेहट्ट महकमा अस्पताल के शिशु विभाग में इंजेक्शन लगाने के बाद सोमवार शाम बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। इस कारण अस्पताल में दहशत के साथ तनाव का माहौल बन गया। घटना की सूचना मिलते ही भारी संख्या में पुलिस बल अस्पताल परिसर में पहुंचा और स्थिति को कुछ हद तक शांत किया। अस्पताल सूत्रों के अनुसार नौ बच्चों को शक्तिनगर जिला अस्पताल में स्थानांतरित किया जा चुका है। अस्पताल अधीक्षक बप्पादित्य ढाली ने कहा कि पूरी घटना की जांच की जाएगी।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, सोमवार शाम तक बुखार, दस्त, उल्टी और अन्य समस्याओं के साथ लगभग तीस बच्चों को भर्ती कराया गया। भर्ती कराए गए अधिकांश बच्चों को बुखार, सीने में जलन और उल्टी रोकने के लिए अस्पताल की ओर से इंजेक्शन दिए गए थे। बच्चों के माता-पिता का आरोप है कि उन्हें उस विभाग से बुखार के लिए एंटीबायोटिक दवाएं लाने को कहा गया था। यही कारण है कि कुछ माता-पिता अस्पताल के बाहर स्थित दवा की दुकान से दवा खरीदने चले गए। एंटीबायोटिक दवाओं के अलावा बच्चों को अस्पताल की ओर से विभिन्न बीमारियों के लिए इंजेक्शन भी दिए गए। मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया कि संबंधित विभाग में भर्ती बच्चे इंजेक्शन लगाने के बाद बीमार पड़ गए। इस घटना की जानकारी होते ही विभाग में दहशत फैल गई।
नीलरतन बैराग्य नामक मरीज के रिश्तेदार ने बताया, “मेरी नौ साल की पोती भर्ती है। मैं बाहर की कंपनी से एंटीबायोटिक्स भी लाया हूं।” उन्होंने कहा कि “एंटीबायोटिक इंजेक्शन देने के बाद मेरी पोती के मुंह से झाग निकलने लगा।” वह बहुत बीमार हो गई. “मेरी पोती के अलावा, कई अन्य बच्चे भी ऐसी ही स्थिति में हैं।” प्रीतबास सरकार ने बताया, “मेरा साढ़े सात साल का बेटा चार दिन से भर्ती है। आज सुबह उसे बाहर से लाई गई दवा और दूसरे इंजेक्शन दिए गए तो पहले उसकी तबीयत खराब हुई। फिर दोपहर में वही इंजेक्शन दिए जाने के बाद फिर से तबीयत खराब हो गई। मजबूरन मुझे उसे शक्तिनगर जिला अस्पताल ले जाना पड़ा।”
तेहट्ट अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि नौ बच्चों के एक साथ बीमार पड़ने के पीछे वास्तविक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। मामले की जांच के लिए आंतरिक जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है।