कोलकाता, 12 अगस्त । पश्चिम बंगाल के राज्य सचिवालय नवान्न और भारत निर्वाचन आयोग के बीच टकराव अब चरम पर पहुंच गया है। राज्य सरकार ने चार अधिकारियों के निलंबन और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के चुनाव आयोग के आदेश को मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत को दिल्ली तलब कर लिया है। उन्हें बुधवार शाम 5 बजे तक आयोग में पेश होने का निर्देश दिया गया है।

मतदाता सूची में नाम दर्ज करने की प्रक्रिया के दाैरान गड़बड़ी करने के आरोप में बारुईपुर पूर्व (137) विधानसभा क्षेत्र के ईआरओ देवोत्तम दत्ता चौधरी, सहायक एईआरओ तथागत मंडल, मयना के ईआरओ बिप्लव सरकार, एईआरओ सुदीप्त दास और डेटा एंट्री ऑपरेटर सुरजीत हालदार पर कार्रवाई का आदेश दिया गया था। चुनाव आयोग ने इन सभी को निलंबित करने और उनके खिलाफ 1950 के जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिया थे।

मगर सोमवार को मुख्य सचिव ने आयोग को पत्र लिखकर स्पष्ट किया कि चार में से केवल दो अधिकारियों बारुईपुर पूर्व के डेटा एंट्री ऑपरेटर सुरजीत हालदार और मयना के ईआरओ सुदीप्त दास को ही चुनावी कार्य से मुक्त किया गया है, जबकि निलंबन और एफआईआर की कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसका यह तर्क दिया गया कि इससे अधिकारियों का मनोबल टूट सकता है।

राज्य सरकार के इस रुख पर आयोग ने नाराजगी जताते हुए मुख्य सचिव को तलब किया है। वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही इस मामले में चुनाव आयोग के आदेश का विरोध कर चुकी हैं। उन्होंने कहा था कि वह किसी भी अधिकारी को सजा नहीं होने देंगी।————————-