मुंबई, 28 जनवरी। मराठा आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के फैसले पर सत्तापक्ष में ही नाराजगी उभरने लगी है। शिंदे सरकार में कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए रविवार को कहा कि ओबीसी को आरक्षण से बाहर करने का प्रयास किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने भी मुख्यमंत्री शिंदे के फैसले का पुरजोर विरोध किया है। उन्होंने इस फैसले को ऐतिहासिक परंपराओं को तोडऩे वाला और ओबीसी के अधिकारों पर अतिक्रमण करने वाला बताया है।

नारायण राणे ने ट्विट कर कहा कि सोमवार को वे इस बारे में विस्तृत जानकारी देंगे। इसी तरह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय सचिव पंकजा गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि अब एक मराठा लाख मराठा नहीं बल्कि एक ओबीसी लाख ओबीसी का नारा मनोज जारांगे को लगाना चाहिए। छगन भुजबल ने रविवार को पत्रकारों को बताया कि राज्य सरकार की ओर से हर जगह एक तरफा कार्रवाई की जा रही है। हम कुरेटिव याचिका दायर करने का समर्थन करते हैं, लेकिन क्या मराठा समुदाय को कुनबी सर्टिफिकेट देना जरूरी है? ऐसा सवाल भुजबल ने उठाया है। भुजबल ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री बात करते हैं कि ओबीसी समाज के साथ अन्याय नहीं किया जाएगा, लेकिन ओबीसी समाज को आरक्षण से बाहर निकालने का काम मुख्यमंत्री शिंदे सुनियोजित तरीके से कर रहे हैं। अब तो शिक्षा और नौकरी में ओबीसी की जगह मराठा समाज को लोग नजर आएंगे और कहीं इक्का दुक्का जो ओबीसी जनप्रतिनिधि नजर आते थे, वे भी एक-दो लोग भी नहीं आ सकेंगे। भुजबल ने यह भी कहा कि सभी मराठा समुदाय को पिछले दरवाजे से कुनबी सर्टिफिकेट देने का काम चल रहा है। कल की घटना के बाद कल से ही मुझे पिछड़े वर्ग, दलित और अन्य लोगों के संदेश आ रहे हैं। आगे क्या करना है? वे पूछ रहे हैं। मंत्री छगन भुजबल ने कहा है कि नागरिकों में घबराहट है कि हमारा आरक्षण खत्म हो गया है। मराठा आरक्षण के मुद्दे पर ओबीसी नेताओं ने सरकार के फैसले का विरोध किया है। इसके लिए रविवार को छगन भुजबल के आवास पर एक शाम बैठक का भी आयोजन किया गया है । इस बैठक में ओबीसी नेता अपनी आगे की रणनीति तय करने वाले हैं। इससे पहले छगन भुजबल ने मीडिया से बातचीत के दौरान यह बात कही है।