रायपुर, 03 जून। छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने अब निकाह पढ़ने का शुल्क तय कर दिया है। इसके अनुसार निकाह पढ़ाने वाले 1100 रुपये से ज्यादा नहीं ले सकेंगे। वहीं न्यूनतम शुल्क 11 रुपये निर्धारित किया गया है। छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने इस संबंध में सभी मुतवल्लियों को सोमवार देर शाम आदेश जारी किया है। छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डाॅ. सलीम राज ने उक्त संबंध में आज एक प्रेस नोट भी जारी कर यह जानकारी दी।

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने कहा कि कई जगहों से शिकायतें मिल रही थीं कि मौलवी, हाफिज और ईमाम निकाह पढ़ने के लिए मनमानी रकम ले रहे हैं, जो इस्लाम और शरीअत के खिलाफ है। बोर्ड ने कहा कि हमें निकाह को आसान करना है ताकि गरीब और बेसहारा परिवार के बच्चे-बच्चियों के परिवार पर आर्थिक बोझ न पड़े। निकाह पढ़ाने की एवज में जो परिवार अपने स्वेच्छा दें, उसे स्वीकार करें। बोर्ड ने कहा है कि निकाह की रकम नजराने के तौर पर 11 रुपये से 1100 रुपये निर्धारित की गई है और उसका पालन करें। नहीं तो मुतवल्लियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डाॅ. सलीम राज ने बताया कि विगत दिनों कुछ शिकायतें प्राप्त हुई थीं कि किसी एक इमाम/मौलाना ने निकाह पढ़ने के लिए 5100 रूपये नजराना/उपहार न दिये जाने पर निकाह पढ़ाने से इनकार कर दिया और वहां से चले गये। इस प्रकार की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने यह आदेश जारी किया है कि अब प्रदेश भर के इमाम/मौलाना निकाह पढ़ाने के लिए 11 सौ रुपये से अधिक नजराना/उपहार नहीं ले सकेंगे। इस्लाम में शरीअत का भी यह हुक्म है कि निकाह को आसान करें। पूरे प्रदेश में लगभग 800 से अधिक इमाम और मौलाना हैं जो निकाह पढ़ाने का काम करते हैं, यदि किसी इमाम या मौलाना द्वारा इस आदेश का उल्लंघन किया जाता है या किसी इमाम या मौलाना के विरूद्ध इस प्रकार की कोई शिकायत प्राप्त होती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

डाॅ. राज ने कहा कि यह फरमान जारी करने का मुख्य उद्देश्य यह है, समाज के अति पिछड़ा वर्ग और गरीब वर्ग के लोगों को सहूलियत दी जाये, चूंकि एक गरीब परिवार के लिए 5100 रूपये बहुत महत्व रखता है, उसे कमाने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि गरीब का हक गरीब को मिले। तीन तलाक का कानून लागू होने से मुस्लिम तलाकशुदा महिला आज सुखी जीवन व्यतीत कर रही हैं। तलाक में आज 35 प्रतिशत की कमी आई है।