जयपुर, 04 नवम्बर। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नारायण पंचारिया ने राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की चिरंजीवी योजना को जनता के साथ धोखा करार देते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री अपनी सभाओं में मुफ्त इलाज का ढिंढोरा पीट रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि राज्य के निजी अस्पतालों में अधिकांश ने चिरंजीवी और आरजीएचएस के तहत मरीजों का इलाज बंद कर दिया है। वहीं सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ टूट रही है और उन्हें संभालने के लिए चिकित्सा विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ भी नहीं है।

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नारायण पंचारिया ने कहा कि प्रदेश के अस्पतालों की हालत यह है कि 7 करोड की आबादी वाले देश के सबसे बड़े भूभाग में बसे राजस्थान में अस्पतालों का भारी टोटा है। कई कस्बे तो ऐेसे हैं जहां कोई डिस्पेंसरी भी नहीं है और जहां डिस्पेंसरी है वहां चिकित्सक उपलब्ध नहीं है। राज्य में चिकित्सकों की कमी के हालात यह है कि चिकित्सकों के स्वीकृत पद 6042 पर हैं, इनमें से 2336 चिकित्सकों के पद खाली पड़े हैं, यानि करीब एक तिहाई चिकित्सकों के पद रिक्त है। इसके अलावा पैरामेडिकल संवर्ग के 3875 स्वीकृत पदों में से 1717 पद खाली पड़े हुए हैं। ऐसे में राज्य का चिकित्सकीय ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया है, लेकिन इन सबके बावजूद राज्य सरकार राजस्थान को चिकित्सा के क्षेत्र में रोल मॉडल बता रही है।

उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ हालात यह है कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही 142 जनता क्लिनिक शुरू करने की घोषणा की गई थी। इसके बाद पूरे कार्यकाल के दौरान भी राज्य सरकार अपनी इस घोषणा को पूरा नहीं कर पाई है। संविदा के आधार पर इन जनता क्लिनिक में रखे गए चिकित्सक व स्टाफ के कारण इसका पूरा लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा है। सरकारी लापरवाही के कारण प्रदेश में जनता को सही इलाज भी मुहैया नहीं हो पा रहा है।