
कोलकाता, 9 अप्रैल । पश्चिम बंगाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 26 हजार शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों की नौकरी रद्द करने के बाद पूरे राज्य में उथल-पुथल का माहौल है। बुधवार को कई जिलों में नौकरी से निकाले गए अभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया। वहीं तृणमूल कांग्रेस ने भी ममता बनर्जी के नेतृत्व में रैली निकाली। भारतीय जनता पार्टी ने भी “योग्य” नौकरी से निकाले गए अभ्यर्थियों के समर्थन में स्वर बुलंद किया है।
बुधवार को कोलकाता के कसबा स्थित डीआई कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन ने उग्र रूप धारण कर लिया। दोपहर 12.10 बजे प्रदर्शनकारियों ने कार्यालय का गेट फांदकर अंदर प्रवेश करने की कोशिश की और ताला तोड़ने का प्रयास किया। इस दौरान उनकी पुलिस के साथ जमकर हाथापाई हुई। अंततः ताला तोड़कर प्रदर्शनकारी कार्यालय परिसर में दाखिल हो गए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच भिड़ंत से पूरे इलाके में तनाव का माहौल बन गया।
इसी दौरान, मालदह में भी नौकरी से निकाले गए अभ्यर्थियों ने डीआई कार्यालय का घेराव किया। पुलिस द्वारा रोकने पर वहां भी धक्का-मुक्की हुई और स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई। तमलुक में प्रदर्शनकारियों ने डीआई कार्यालय में ताला जड़ दिया और साफ कहा कि वे अब ‘स्वैच्छिक’ रूप से काम नहीं करेंगे।
कोलकाता की सड़कों पर भी नौकरी से निकाले गए अभ्यर्थियों ने रैली निकाली और तीन प्रमुख मांगों को पूरा करने तक आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।
बर्दवान जिले में प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। वहां भी तनावपूर्ण हालात बने रहे।
इसके अलावा ‘संघर्षशील संयुक्त मंच’ के प्रतिनिधि दल ने बुधवार सुबह बीजेपी सांसद अभिजीत गांगुली के आवास के सामने प्रदर्शन किया और उनके साथ मिलकर एसएससी भवन जाने की योजना बनाई।
बालुरघाट में प्रदर्शनकारियों ने प्रतीकात्मक रूप से एसएससी की ‘मृत देह’ कंधे पर रखकर जुलूस निकाला।
सुबह से ही मिदनापुर समेत अन्य जिलों में भी डीआई कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। मिदनापुर में तो प्रदर्शनकारियों ने डीआई अधिकारी को कार्यालय में प्रवेश करने से भी रोक दिया, जिससे कार्यालय परिसर में भारी तनाव उत्पन्न हो गया।