अग्रबंधु ,राजस्थान सूचना केंद्र एवं राजस्थान पत्रिका द्वारा मताधिकार या मतदान पर विचार गोष्ठी
कोलकाता, 29 मार्च। उद्योगपति, समाज सेवी एवं विचारक प्रहलाद राय गोयनका का कहना है कि चुनाव के संबंध में हमें हमारी धारणा को बदलने की जरूरत है, मतदान और मताधिकार के बीच अंतर को समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें मतदान नहीं अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए। वे मंगलवार को अग्रबंधु ,राजस्थान सूचना केंद्र एवं राजस्थान पत्रिका की ओर से मताधिकार या मतदान विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में बोल रहे थे।
गोयनका ने कहा कि आप जिस वस्तु का दान कर देते हैं उस पर आपका अधिकार नहीं रहता। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि आप किसी को धनराशि दान कर देते हैं तो फिर दान प्राप्त कर्ता उस राशि का मनचाहा उपयोग कर सकता है, आप उससे सवाल नहीं कर सकते कि उसने दान में मिली राशि का क्या किया, लेकिन जब आप किसी दुकानदार को एक रुपया भी देते हैं तो उसका पूरा हिसाब लेते हैं।
गोयनका ने कहा हमें हमारी सोच में बदलाव लाना होगा, हमें राजनेताओं को यह बताना होगा कि हमने दान नहीं किया है। हमने मताधिकार का उपयोग किया है और हम यह जानने का हक रखते हैं कि कि हमें हमारे वोट के बदले क्या मिलेगा।
गोयनका ने कहा कि बंगाल में रहने वाले अधिकतर हिंदी भाषी लोग मताधिकार के प्रति उदासीन रहते हैं। ये अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक नहीं है। जबकि इन्हे संगठित होकर अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए।
गोयनका ने कहा कि चुनाव में भय और लालच भी बड़ी भूमिका निभाता है। किसी भी राजनीतिक दल का कोई सदस्य बिल्डिंग के नीचे आकर खड़ा हो कर धमका सकता है कि अगर तुमने उनकी पार्टी को वोट नहीं दिया तो आगे क्या होगा समझ लेना। इस तरह की धमकियों से डरने के बजाय इनसे कानूनी तरीके से निपटने की जरूरत है। गोयनका ने कहा कि उचित उम्मीदवार को वोट देकर, उसकी जवाबदेही तय करने से ही देश में स्वस्थ लोकतंत्र संभव है और इसीमें हमारी समस्याओं का समाधान निहित है। गोयनका ने सांप्रदायिक आधार राजनीति को देश के लिए खतरनाक बताया।
गोष्ठी में सदीनामा के संपादक जीतेंद्र जीतांशु ने मताधिकार का महत्व बताते हुए कहा कि लोगों की उदासीनता के चलते 1946 में अंतरिम सरकार के चुनाव के समय भीमराव अंबेडकर जो बम्बई में चुनाव हार गए थे, फिर जोगेन मंडल ने उनको बंगाल से जिताया। इससे बाबा साहब अंतरिम सरकार का हिस्सा बन पाए। उन्होंने चुनाव में नोटा के इस्तेमाल को गलत बताया।
शकुन त्रिवेदी ने कहा की वोट बिना किसी दबाव के दिया जाना चाहिए और वोटिंग की प्रक्रिया गफप्त रहनी चाहिए। जहाँ दबाव हो या भेड़चाल हो वहां सशक्त लोकतंत्र नहीं हो सकता।
राजस्थान सूचना केंद्र कोलकाता के प्रभारी एवं सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के सहायक निदेशक हिंगलाज दास रतनू ने गोष्ठी का संचालन करते हुए कहा कि प्रत्येक नागरिक को अपनी जिम्मेदारी का बोध होना चाहिए कि वो मतदान का प्रयोग मजबूती से करे। लोकतंत्र में अगर स्वतंत्रता नहीं है तो इसका मतलब पराधीनता है। धन्यवाद ज्ञापन राजस्थान पत्रिका के समाचार संपादक रविंद्र राय ने किया। वेद प्रकाश गुप्ता ने कहा संगठित होकर मतदान अवश्य करना चाहिए।
कार्यक्रम में जगमोहन सिंह खोखर, सीताराम अग्रवाल, रमेश शर्मा, विनोद बिहारी,पवन कुमार झा, विनोद बियानी,लक्ष्मण शर्मा,रामबिलास मोदी , अजय अग्रवाल, मीनाक्षी सांगानेरिया,संदीप बजाज सहित कई अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।