
शिमला, 29 जून। केंद्रीय संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिलों के 5 दिवसीय दौरे के अंतिम चरण में रविवार को केलांग में ‘मल निकासी योजना’ की आधारशिला रखी और बौद्ध मठों के संरक्षण को लेकर बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार शीघ्र ही ‘बुद्धिस्ट डेवलपमेंट प्लान’ के तहत देशभर के प्राचीन बौद्ध मठों और गोम्पाओं के जीर्णोद्धार के लिए सहायता प्रदान करेगी।
योजना के तहत लाहौल-स्पीति, किन्नौर और अन्य बौद्ध बहुल क्षेत्रों के मठों द्वारा भेजे गए प्रस्तावों को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृत कर आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। देश में लाहौल-स्पीति जिला को अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा सबसे अधिक बजट प्रदान किया गया है, जो क्षेत्र की विशेषता और आवश्यकताओं को दर्शाता है।
केलांग में जनसभा को संबोधित करते हुए रिजिजू ने प्रधानमंत्री जनकल्याण योजना के तहत बनने वाली मल निकासी योजना को क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण बताया। कहा कि इससे केलांग और बिलिंग गांव में स्वच्छता और जनस्वास्थ्य की स्थिति में व्यापक सुधार आएगा। यह परियोजना केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है और लाहौल-स्पीति जैसे दुर्गम क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में अहम पहल है।
जनजातीय जिलों का यह दौरा विशेष अनुभव रहा, जिसमें उन्हें लोगों से मिलने और उनकी समस्याओं को सीधे सुनने का अवसर मिला। अटल टनल को क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर बताते हुए कहा कि अब लाहौल-स्पीति को आगे ले जाना केंद्र और राज्य सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी है। गृह मंत्रालय की ‘वाइब्रेंट विलेज योजना’ के तहत सीमावर्ती गांवों में सड़क, स्कूल, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं, ताकि दूरदराज के गांव भी मुख्यधारा से जुड़ सकें।
केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम द्वारा आयोजित जागरूकता शिविर में भाग लिया और लाभार्थियों से बातचीत की। बताया कि निगम ने राज्य सरकार के साथ समझौता कर अल्पसंख्यकों को कम ब्याज दर पर ऋण मुहैया करवाकर स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने की योजना लागू की है। लोगों से इस योजना का लाभ उठाने की अपील भी की।