कोलकाता, 11 अक्टूबर। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा लंबे समय से केंद्र प्रायोजित मनरेगा योजना के धन का कथित रूप से भुगतान न करने के मामले में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

यह जानकारी अदालत के सूत्रों ने बुधवार को दी। न्यायालय ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) अधिनियम केन्द्र सरकार की ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना है। गरीबी उन्मूलन योजना को लेकर राज्य सरकार और केंद्र के बीच लंबे समय से वाद प्रतिवाद चल रहा है। जबकि राज्य ने केंद्र पर कथित राजनीतिक विचार के लिए धन रोकने का आरोप लगाया है। केंद्र ने हालांकि बंगाल सरकार पर व्यय की ऑडिट रिपोर्ट साबित नहीं करने के साथ-साथ आवंटित धन को हड़पने के लिए लाखों फर्जी जॉब कार्ड जारी करने का आरोप लगाया है।

दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मंगलवार को केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल सरकार को कथित रूप से लंबित मनरेगा योजना निधि के संबंध में अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर  को होगी।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मनरेगा फंड की कथित हेराफेरी की केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की, वहीं कृषि मजदूरों के एक संघ ने बकाया राशि का तत्काल भुगतान करने की मांग की।

महाधिवक्ता एस.एन. मुखोपाध्याय राज्य सरकार की ओर से पेश हुए हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि इस मुद्दे पर राज्य की ओर से चूक हुई है।

महाधिवक्ता मुखोपाध्याय ने पहली सुनवाई के दौरान अदालत को बताया, “राज्य किसी प्रतियोगिता में शामिल होने को तैयार नहीं है। हम चाहते हैं कि 100 दिन की नौकरी योजना के तहत वास्तविक लाभार्थियों को उनका बकाया मिले। मैं यह नहीं कहूंगा कि राज्य सरकार की ओर से कोई गलती नहीं हुई।” उन्होंने माना,“न केवल पश्चिम बंगाल में बल्कि अन्य राज्यों में भी गलतियाँ होती हैं।” उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले पर केंद्र सरकार को कार्रवाई रिपोर्ट सौंपी है।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ए.के. चक्रवर्ती ने केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए। उन्‍होंने आरोप लगाया कि बंगाल में केंद्र प्रायोजित गरीबी उन्मूलन योजना (मनरेगा) के कार्यान्वयन में भारी अनियमितताएं हुई हैं। अतिरिक्त सॉलिस्टर जनरल चक्रवर्ती ने खंडपीठ को बताया कि इस योजना के तहत पश्चिम बंगाल सरकार को लगभग 54,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन राज्य की ओर से कोई ऑडिट रिपोर्ट नहीं रखी गयी थी।

इस बीच, राजधानी दिल्ली की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के मंत्री गिरिराज सिंह ने पश्चिम बंगाल में गरीबों के लिए मनरेगा निधि के कथित दुरुपयोग के मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाने और सीबीआई जांच की मांग करवाने की धमकी दी है।