रायपुर, 19 अप्रैल । छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाला मामले में सीबीआई ने दो पूर्व अधिकारियों और पूर्व महाधिवक्ता के खिलाफ फिर से केस दर्ज किया है। सीबीआई ने नए सिरे से दर्ज किए गए इस मामले की जांच भी शुरू कर दी है।

सीबीआई ने शनिवार को अपनी प्रेस विज्ञप्ति में आरोप लगाया कि आरोपित लोक सेवकों ने अपने पद का दुरुपयोग कर ईओडब्ल्यू और एसीबी की एफआईआर संख्या 9/2015 और छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले के केस को प्रभावित किया। सीबीआई ने जेल में बंद रिटायर्ड आईएएस अनिल टूटेजा, आलोक शुक्ला और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 182, 211, 193, 195ए, 166ए, 120बी और 7, 7(ए), 8, 13(2) के तहत फिर से मामला दर्ज किया है।

सीबीआई का आरोप है कि आयकर विभाग के जब्त डिजिटल साक्ष्यों के अनुसार आरोपित लोक सेवकों ने नागरिक आपूर्ति निगम मामले में कार्रवाई को विफल करने के कई प्रयास किए। जिन पूर्व अधिकारियों पर यह केस दर्ज किया गया है, उनमें अनिल टुटेजा आईएएस, (सेवानिवृत्त), डॉ.आलोक शुक्ला, आईएएस (सेवानिवृत्त) और सतीश चंद्र वर्मा, पूर्व महाधिवक्ता शामिल हैं।

सीबीआई ने पहले से दर्ज केस की जांच को अपने हाथों में लेते हुए यह नया केस दर्ज किया है। सीबीआई ने रायपुर में शुक्रवार को दो लोक सेवकों के परिसरों की तलाशी ली थी, जिसमें कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं। सीबीआई ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि आरोपित लोक सेवकों ने कथित तौर पर सतीश चंद्र वर्मा, तत्कालीन महाधिवक्ता छत्तीसगढ़ को अनुचित तरीके से सार्वजनिक कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरित किया। ईडी और ईओडब्ल्यू/एसीबी, छत्तीसगढ़ द्वारा जांच के तहत उपरोक्त मामलों में खुद के लिए अग्रिम जमानत हासिल करने के लिए अनुचित लाभ प्रदान किए।

सीबीआई का आरोप है कि अग्रिम जमानत लेने के लिए आरोपित लोक सेवकों ने राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के डिपार्टमेंटल कार्य में भी हस्तक्षेप करवाने का काम किया है। आरोपितों ने प्रक्रियात्मक एवं विभागीय कार्य से संबंधित दस्तावेजों को नागरिक आपूर्ति निगम प्रकरण में उच्च न्यायालय में दाखिल किए जाने वाले जवाब में फेरबदल करवा लिया था। इस सभी केस की जांच चल रही है।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले में सीबीआई ने 3 वरिष्ठ अधिकारियों पर केस दर्ज किया है। इनमें तत्कालीन स्कूल शिक्षा विभाग सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, तत्कालीन संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा और तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा शामिल हैं।