Kolkata

कोलकाता, 30 जून । पश्चिम मेदिनीपुर ज़िले के डेबरा विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस...

कसबा कांड में भी आरजी कर जैसी लापरवाही, एफआईआर में नहीं लिखा गया आरोपितों का पूरा नामकोलकाता, 30 जून (हि.स.) । कोलकाता के एक लॉ कॉलेज में छात्रा से दुष्कर्म मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। आरोपितों का संबंध सत्ताधारी तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) से होने के बावजूद एफआईआर में उनके नाम की जगह केवल “एम”, “जे” और “पी” जैसे शुरुआती अक्षर ही लिखे गए हैं। इससे मामले को लेकर राजनीतिक घमासान और कानूनी बहस तेज हो गई है। दुष्कर्म के इस मामले में जिन तीन युवकों को आरोपित बताया गया है, उनके नाम हैं – मनोजीत मिश्रा, जैब अहमद और प्रमीत मुखोपाध्याय। तीनों का संबंध तृणमूल कांग्रेस की छात्र इकाई टीएमसीपी से है। इन्हें पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। इसके बावजूद एफआईआर में उनके पूरे नाम नहीं लिखे गए, जिससे यह संदेह पैदा हो गया कि पुलिस ने जानबूझकर यह कदम उठाया ताकि राजनीतिक संबंध उजागर न हों। कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता फिरदौस समीम ने कहा कि यदि पीड़िता ने आरोपितों के नाम स्पष्ट रूप से बताए थे, तो एफआईआर में केवल अक्षर लिखना पूरी तरह अनुचित है। उन्होंने कहा, “यदि पीड़िता को आरोपित पहचानती है, तो उनका नाम एफआईआर में न लिखना पुलिस की गंभीर चूक है। प्रारंभिक जांच में भी आरोपितों की पहचान आसान थी। इससे साफ होता है कि पुलिस ने जानबूझकर नाम छिपाए हैं।” माकपा नेता शतरूप घोष ने कहा कि पुलिस की यह हरकत सोची-समझी चाल है। उन्होंने मांग की कि एफआईआर में आरोपितों के पूरे नाम और अन्य जरूरी विवरण दर्ज किए जाने चाहिए थे। भाजपा पार्षद सजल घोष ने भी आरोप लगाया कि केवल अक्षरों का उपयोग करके पुलिस ने जानबूझकर टीएमसीपी से जुड़े आरोपितों की पहचान छिपाई है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य अर्चना मजूमदार के नेतृत्व में आयोग की एक टीम रविवार को घटनास्थल पर पहुंची और कॉलेज परिसर का निरीक्षण किया। उन्होंने भी पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे। चिंता वाली बात यह है कि जैसे आरजी कर अस्पताल मामले में लापरवाही हुई थी, वैसी ही पुलिस की भूमिका कसबा मामले में भी सामने आ रही है। इससे पुलिस की निष्पक्षता और गंभीरता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

कोलकाता, 30 जून  । कोलकाता के एक लॉ कॉलेज में छात्रा से दुष्कर्म मामले...