
कोलकाता, 08 जुलाई । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल के एक निजी मेडिकल कॉलेज से संबंधित कथित ‘कैश-फॉर-एडमिशन’ घोटाले के मामले में 6.42 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) जब्त कर ली है। यह कार्रवाई एनआरआई (अनिवासी भारतीय) कोटे के तहत एमबीबीएस, एमडी और एमएस पाठ्यक्रमों में अयोग्य छात्रों को दाखिला देने के आरोपों की जांच के सिलसिले में की गई है।
ईडी ने मंगलवार को जारी अपने एक बयान में बताया है कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 के तहत पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कई निजी मेडिकल कॉलेजों पर छापेमारी की। इस दौरान जांच एजेंसी को महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं और कुछ लोगों के बयान भी दर्ज किए गए हैं। जांच में खुलासा हुआ है कि कॉलेज प्रबंधन ने दलालों के साथ मिलकर एनआरआई कोटा में दाखिले के लिए फर्जी दावेदारी तैयार की थी।
ईडी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए मानदंडों को नजरअंदाज करते हुए कॉलेज प्रशासन और एजेंटों ने फर्जी पारिवारिक दस्तावेज, फर्जी एनआरआई प्रमाणपत्र और दूतावास से जारी नकली दस्तावेज तैयार करवाए। एजेंटों ने इसके लिए अनजान एनआरआई नागरिकों की पहचान भी खरीदी और उन्हें छात्र का ‘स्पॉन्सर’ दिखाया। कई मामलों में एक ही एनआरआई के फर्जी दस्तावेजों का उपयोग दो से तीन अलग-अलग छात्रों के लिए किया गया, जिससे सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की ‘कागजी पूर्ति’ हो सके।
ईडी ने बताया कि एजेंटों को फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए कॉलेजों की ओर से भुगतान किया गया था। विदेश मंत्रालय की ओर से जब कुछ मामलों में एनआरआई स्पॉन्सर के फर्जीवाड़े की जानकारी राज्य सरकार को दी गई, तब भी स्थानीय स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसके अलावा, ईडी को विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों से यह जानकारी भी प्राप्त हुई है कि कई मामलों में प्रस्तुत किए गए एनआरआई सर्टिफिकेट वास्तविक नहीं थे। इससे यह संकेत मिलता है कि यह घोटाला सुनियोजित तरीके से और बड़े पैमाने पर किया गया है।
इससे पहले ईडी विभिन्न निजी मेडिकल कॉलेजों और व्यक्तियों की 12.33 करोड़ रुपये की संपत्तियां भी अटैच कर चुकी है। हालांकि जांच के हित में एजेंसी ने इन कॉलेजों के नाम फिलहाल सार्वजनिक नहीं किए हैं।