कोलकाता, 15 अक्टूबर । कोलकाता के रानी रासमणि रोड पर मंगलवार अपराह्न ‘द्रोह का कार्निवल’ की शुरुआत हुई। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड हटाए गए, जिससे प्रदर्शनकारियों का हुजूम उमड़ पड़ा। जूनियर डॉक्टरों द्वारा आयोजित इस कार्निवल को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा लागू की गई धारा 163 को चुनौती देते हुए डॉक्टरों के पक्ष में फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम के निर्देश पर सुनवाई जल्द की गई, जिसके बाद न्यायाधीश रविकिशन कपूर की बेंच ने निर्णय दिया कि हर नागरिक को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार है। अदालत ने बार-बार इस अधिकार पर जोर दिया है।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने कई स्थानों पर बैरिकेड हटाने शुरू कर दिए। हालांकि, पंडाल विसर्जन के लिए आयोजित पूजा कार्निवल और ‘द्रोह के कार्निवल’ के मार्गों के बीच कुछ जगहों पर बैरिकेड अभी भी मौजूद हैं। रानी रासमणि रोड और धर्मतला इलाके में पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी गई है। कई स्थानों पर भारी-भरकम बैरिकेड लगाए गए हैं, जिनमें लोहे की चेन और बांस के ढांचे का उपयोग किया गया है।
प्रदर्शन में महिषबाथान से आए ढाकियों ने भी हिस्सा लिया। उनके बैनरों पर लिखा था, **”न्याय जब प्रहसन बने, तो संघर्ष ही अंतिम रास्ता है।” कुल 21 ढाकियों के साथ प्रदर्शनकारी कार्निवल में उत्साह और जोश भरने को तैयार हैं। कुछ ही देर में ढाक, नारेबाजी और गीतों से रानी रासमणि रोड गूंजने लगेगा।
कोलकाता पुलिस के निर्देश रद्द, हाई कोर्ट ने दी द्रोह कार्निवल की अनुमति
कलकत्ता हाई कोर्ट ने पुलिस द्वारा लागू की गई 163 धारा को रद्द करते हुए ‘द्रोह कार्निवल’ आयोजित करने की अनुमति दी है। न्यायमूर्ति रविकिशन कपूर ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार सभी को है और अदालत इस अधिकार का सम्मान करती है। अदालत ने स्पष्ट किया कि रानी रासमणि रोड और रेड रोड के बीच बैरिकेड्स लगाकर व्यवस्था की जाएगी ताकि कार्यक्रम सुरक्षित तरीके से आयोजित हो सके।
पुलिस के फैसले पर सवाल, राज्य को फटकार
राज्य सरकार ने इस कार्निवल को किसी अन्य दिन करने का सुझाव दिया था और रानी रासमणि रोड के बजाय रामलीला मैदान पर आयोजन का प्रस्ताव रखा। हालांकि, याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि पुलिस यह तय नहीं कर सकती कि कौन-सा कार्यक्रम किस दिन होगा। उन्होंने अदालत में यह भी कहा कि डॉक्टर गुंडे नहीं हैं और उनका यह प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा।
हाई कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या 163 धारा केवल इसी इलाके में लागू की गई है, या अन्य जगहों पर भी इसे लागू किया गया है। न्यायमूर्ति कपूर ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा कि जब पंडालों और रेड रोड पर दुर्गा पूजा कार्निवल के लिए भीड़ जुट सकती है, तो डॉक्टरों का कार्निवल रोकने का औचित्य क्या है।
राज्य ने पेश किए पुराने फैसलों के उदाहरण
राज्य सरकार की ओर से वकील ने तर्क दिया कि 2018 में शाहीनबाग मामले में भीड़भाड़ को नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बैन लागू किया था। इसी तरह, उन्होंने कोलकाता की दुर्गा पूजा को यूनेस्को द्वारा दी गई मान्यता का भी हवाला देते हुए कहा कि यह कार्निवल विशेष महत्व रखता है, और पुलिस को व्यवस्था बनाए रखने के लिए 163 धारा लागू करनी पड़ी।
डॉक्टरों के संयुक्त मंच ने अदालत को बताया कि उन्होंने 11 अक्टूबर को ही कार्निवल के लिए अनुमति की मांग करते हुए पत्र दिया था। हालांकि, राज्य के वकील ने यह तर्क दिया कि प्रदर्शन के आयोजन का कारण स्पष्ट नहीं किया गया था।
कोलकाता पुलिस ने रेड रोड और रानी रासमणि रोड के आसपास कड़ी सुरक्षा तैनात की है। कई स्थानों पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं, और नेताजी मूर्ति के पास नौ फीट ऊंचे बैरिकेड्स स्थापित कर दिए गए हैं। पूरे क्षेत्र में बसों की कतारें और पुलिस की कड़ी निगरानी देखी जा रही है।
हाई कोर्ट की विशेष बेंच ने सुनी याचिका
मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट में आज दोपहर दो बजे विशेष बेंच का गठन किया गया। न्यायमूर्ति रविकिशन कपूर ने तत्काल सुनवाई करते हुए पुलिस के निर्देश को निरस्त कर दिया और प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण ढंग से ‘द्रोह कार्निवल’ आयोजित करने की अनुमति दे दी।