कोलकाता, 11 अक्टूबर। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राय दी है कि वह तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा बनर्जी पर मीडिया रिपोर्टिंग को नहीं रोक सकता। भले ही कुछ रिपोर्टिंग मानहानिकारक प्रकृति की प्रतीत हो। अदालत के सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

इस मामले की सुनवाई मंगलवार को न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल पीठ ने की। उन्होंने कहा कि मीडिया को बनर्जी पर ऐसी रिपोर्टिंग रोकने का निर्देश देना देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपेक्षित नहीं है। श्रीमती रुजिरा बनर्जी द्वारा दायर मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा,“ऐसा आदेश मीडिया पर लगाम लगाने जैसा होगा।” अदालत के सूत्रों ने बताया कि न्यायाधीश ने स्पष्ट रूप से कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र में मीडिया रिपोर्टिंग पर इस तरह के प्रतिबंध के आदेश पारित होने की उम्मीद नहीं है।

न्यायाधीश ने कहा कि भ्रामक रिपोर्टों के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्टिंग राजनीतिक प्रचार प्रतीत होती हैं और यह अदालत किसी भी राजनीतिक प्रचार पर आदेश पारित नहीं कर सकती।

एकल पीठ के न्यायाधीश श्रीमती रुजिरा बनर्जी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जो राज्य भर में नौकरियों के लिए कथित नकदी घोटाले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जांच में कुछ मीडिया घरानों को उनके बारे में रिपोर्टिंग करने से रोकने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग कर रही थी।

जांच के दौरान ईडी को लीप्स एंड बाउंड्स प्राइवेट लिमिटेड के दस्तावेज मिले, जिसमें अभिषेक बनर्जी कथित तौर पर सीईओ हैं और उनकी पत्नी, पिता अमित बनर्जी और मां लता बनर्जी कंपनी के निदेशकों में से हैं, जो जांच के दायरे में हैं। एक अन्य सूत्र ने बताया कि ईडी ने अमित बनर्जी और श्रीमती लता बनर्जी को इस सप्ताह सीजीओ कॉम्प्लेक्स में बुलाया है और उन्होंने जांच एजेंसी को दस्तावेज सौंप दिए हैं। उन्होंने बताया कि ईडी ने श्रीमती रुजिरा बनर्जी को भी आज सीजीओ कॉम्प्लेक्स में पेश होने के लिए बुलाया है।