कोलकाता, 28 मार्च । कलकत्ता हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के मोथाबाड़ी में हिंदुओं पर हुए हमलों को लेकर जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है। राज्य में भारतीय जनता पार्टी की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय के लोगों पर हमला किया। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति स्मिता दास की बेंच ने मालदा के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे 3 अप्रैल तक अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

भाजपा नेता और कलकत्ता हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील कौस्तव बागची ने अपनी याचिका में अदालत से अनुरोध किया कि जब तक स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में नहीं आ जाती, तब तक मोथाबाड़ी में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती का निर्देश दिया जाए।

हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलहाल मोथाबाड़ी में स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है, लेकिन अदालत ने यह स्पष्ट करने के लिए रिपोर्ट मांगी है कि वहां वास्तव में क्या हुआ था।

इससे पहले, पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस को पत्र लिखकर राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की थी कि वह मोथाबाड़ी में सीएपीएफ तैनात करे। उन्होंने आरोप लगाया कि वहां बड़े पैमाने पर हिंदुओं पर हमले हुए हैं।

शुभेंदु अधिकारी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर ‘तुष्टीकरण की राजनीति’ के जरिए “ग्रेटर बांग्लादेश” का ब्लूप्रिंट तैयार करने का आरोप लगाया।

उन्होंने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि मोथाबाड़ी में उपद्रवी तत्वों ने हिंदुओं की संपत्तियों को लूटपाट और तोड़फोड़ का निशाना बनाया। अधिकारी ने कहा, “उनका निशाना हिंदू समुदाय था। यही कारण है कि मैं मानता हूं कि सीएपीएफ की तैनाती ही स्थिति को नियंत्रण में रखने का एकमात्र उपाय है, क्योंकि पुलिस असहाय होकर केवल हाथ जोड़कर विनती कर रही थी। उपद्रवियों ने मुख्य सड़कों पर कब्जा कर लिया और कई वाहनों में तोड़फोड़ की।”