कोलकाता, 10 मार्च । कलकत्ता हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने सोमवार को 21 वकीलों, जिनमें एक लोक अभियोजक भी शामिल हैं, के खिलाफ “अवमानना का नियम” जारी किया। इन वकीलों पर कोलकाता की एक जिला अदालत के अतिरिक्त न्यायाधीश को परेशान करने का आरोप है।

यह मामला उत्तर 24 परगना जिले की बसीरहाट जिला अदालत में चल रहे पॉक्सो अधिनियम से जुड़े एक मुकदमे की सुनवाई से जुड़ा है। इस सुनवाई के दौरान मामले से जुड़े वकील, जिनमें लोक अभियोजक भी शामिल थे, अदालत में उपस्थित नहीं हुए। इस पर संबंधित अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने एक चेतावनी जारी की। इसके बाद, कथित तौर पर, कुछ वकीलों ने उन्हें परेशान किया।

इस घटना को लेकर अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने कलकत्ता हाईकोर्ट को सूचित किया। मामला हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति देबांगशु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बार राशिदी की डिवीजन बेंच के समक्ष सुनवाई में आया। सुनवाई के दौरान अदालत में इस घटना से संबंधित कुछ वीडियो क्लिप भी प्रस्तुत किए गए, जिन्हें न्यायाधीशों ने देखा।

हाईकोर्ट ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि किसी पॉक्सो मामले की सुनवाई में लोक अभियोजक की अनुपस्थिति अस्वीकार्य है, क्योंकि इससे पीड़ित नाबालिग को न्याय दिलाने की प्रक्रिया बाधित होती है।

फिलहाल, इन वकीलों के खिलाफ “अवमानना का नियम” जारी कर दिया गया है। आने वाले दिनों में अदालत इस मामले की सुनवाई करेगी और उसके आधार पर आरोपित वकीलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तय की जाएगी।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने संबंधित जिला अदालत के बार एसोसिएशन से आरोपित वकीलों की जानकारी भी मांगी है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के वर्षों में ऐसा कोई मामला देखने को नहीं मिला है, जिसमें इतने अधिक वकीलों के खिलाफ एक साथ अवमानना का नियम जारी किया गया हो।

कानूनी हलकों में इस बात पर भी हैरानी जताई जा रही है कि जब राज्य सरकार पॉक्सो मामलों में शीघ्र सुनवाई और दोषियों को सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है, तब लोक अभियोजक का सुनवाई में अनुपस्थित रहना असाधारण घटना मानी जा रही है।