कोलकाता, 08 नवंबर । कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अब्दुल कलिम उर्फ आजाद को जमानत दे दी। उसे 2016 में कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने प्रतिबंधित जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) का सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
अब्दुल कलिम के वकील ने अदालत से कहा कि वह आठ साल से जेल में है और मामले का निपटारा जल्द होता नहीं दिख रहा है। राज्य के वकील ने बताया कि कलिम को 2014 के खागरागढ़ विस्फोट मामले में पहले ही दोषी ठहराया गया था और उसे आठ साल की सजा मिली थी। यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा जांचा गया था, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और जेएमबी का हाथ सामने आया था।
अब्दुल कलिम के वकील ने कहा कि पहले की सजा की अवधि पूरी हो चुकी है, और यदि मौजूदा मामले में भी उसे दोषी ठहराया जाता है, तो वह दोनों सजा को साथ में चलाने का हकदार है।
जस्टिस जॉयमाल्या बागची की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आरोप गंभीर हैं लेकिन इस मामले में अब्दुल कलिम के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं है। उसकी संलिप्तता सिर्फ एक सह-आरोपित के बयानों पर आधारित है, जिनकी पुष्टि नहीं हुई है।
बेंच ने यह भी कहा कि मामले का निपटारा निकट भविष्य में संभव नहीं है, इसलिए उसे जमानत दी जाती है। अदालत ने उसे 10 हजार रुपये की दो जमानतें जमा करने और कोलकाता तथा दक्षिण 24 परगना जिलों की सीमा में रहने का निर्देश दिया। साथ ही, उसे हफ्ते में एक बार एसटीएफ अधिकारी के सामने हाजिर होने का आदेश दिया गया है।