कोलकाता, 28 मई। पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) घोटाले में नौकरी गंवाने वाले ‘दागी’ शिक्षकों को कलकत्ता हाईकोर्ट से झटका लगा है। न्यायमूर्ति पार्थ सारथी चटर्जी की एकल पीठ ने इन शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया।

इन ‘दागी’ शिक्षकों की याचिका में मांग की गई थी कि जैसे सुप्रीम कोर्ट ने ‘स्वच्छ’ या ‘गैर-दोषी’ शिक्षकों को दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया है, वैसा ही अवसर उन्हें भी दिया जाए। उनका तर्क था कि केवल ओएमआर शीट में हेराफेरी, रैंक जंप या पैनल से बाहर भर्ती जैसे आरोपों के कारण उन्हें यह मौका नहीं मिल रहा है, जो असंगत है।

इन शिक्षकों ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘स्वच्छ’ शिक्षकों को 31 दिसंबर तक वेतन देने की अनुमति दी है, लेकिन उन्हें यह राहत नहीं दी गई। उन्होंने हाईकोर्ट से इस भेदभाव में हस्तक्षेप की अपील की थी।

हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और वहां से स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं। इसलिए इस पर सुनवाई नहीं की जा सकती। इससे पहले यही शिक्षक सुप्रीम कोर्ट भी गए थे, जहां उनकी याचिका खारिज हो चुकी है। अब हाईकोर्ट से भी राहत न मिलने के बाद इनके पास कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है।

यह घटनाक्रम ऐसे समय पर सामने आया है जब एक दिन पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि डब्ल्यूबीएसएससी की नई भर्ती के लिए अधिसूचना 30 मई को जारी की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ‘स्वच्छ’ शिक्षकों को भी नई भर्ती प्रक्रिया के तहत लिखित परीक्षा देनी होगी।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन अप्रैल को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें डब्ल्यूबीएसएससी के जरिए की गई 25 हजार 753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था। साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया गया था कि वह 31 मई तक नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करे।