
कोलकाता, 27 मार्च । कलकत्ता हाईकोर्ट ने जादवपुर विश्वविद्यालय में किसी भी राजनीतिक नेता या महत्वपूर्ण व्यक्तियों के साथ बैठक या सेमिनार आयोजित करने पर रोक लगा दी है। यह फैसला हाल ही में विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के बाद दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान आया।
इस महीने की शुरुआत में जादवपुर विश्वविद्यालय में वेब कूपा की बैठक के दौरान हंगामा हुआ था, जिसमें पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु और विश्वविद्यालय के कुलपति पर हमला किया गया था। इस दौरान दो छात्र नेता भी घायल हो गए थे, जिसके बाद मामला अदालत तक पहुंचा। गुरुवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनाम की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने सवाल किया कि जब विश्वविद्यालय में हालात तनावपूर्ण हैं, तो वहां राजनीतिक नेताओं के दौरे क्यों हो रहे हैं?
राज्य सरकार के वकील कल्याण बनर्जी ने अदालत में दलील दी कि जादवपुर विश्वविद्यालय में अराजकता फैली हुई है। उन्होंने 2014 में हुए छेड़छाड़ के मामले और कई दर्ज एफआईआर का हवाला देते हुए कहा कि हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि प्रशासन लाचार है और कहा, “हमें जो भी आदेश दिया जाएगा, हम उसका पालन करेंगे, हमें सिर्फ शांति चाहिए।”
इसके बाद हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिया कि वह यह स्पष्ट करे कि अब तक शांति बहाल करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने यह भी सवाल किया कि जब निजी सुरक्षा कर्मियों के पास कोई कानूनी शक्ति नहीं होती और उनके पास हथियार भी नहीं होते, तो विश्वविद्यालय प्रशासन राज्य पुलिस की सहायता क्यों नहीं ले रहा है?
सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय के वकील ने अदालत को बताया कि उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग को सुरक्षा उपायों के लिए वित्तीय सहायता की मांग को लेकर पत्र लिखा है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय में विशेष सुरक्षा बलों की तैनाती की जाए। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से आग्रह किया कि वे संस्थान की मूल शिक्षण परंपराओं पर ध्यान दें, न कि राजनीतिक गतिविधियों पर।
अदालत ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में गैर-छात्र तत्वों को तुरंत बाहर किया जाए, ताकि माहौल को नियंत्रित किया जा सके। हाईकोर्ट का यह फैसला विश्वविद्यालय में शांति और अनुशासन बहाल करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।