श्रीनगर, 6 नवंबर। कश्मीर घाटी में मौजूदा वर्ष में केसर की भारपूर फसल होने की उम्मीद से किसान बहुत हर्षित हैं, वहीं बड़ी संख्या में पर्यटक पंपोर इलाके के खेतों में केसर की कटाई का आनंद लेते नजर आ रहे हैं।

एक किसान गौहर जहांगीर ने कहा कि मौसम में प्राकृतिक बदलाव के कारण एक दशक के बाद केसर की खेती में एक सप्ताह की देरी हुयी, लेकिन समय पर बारिश और उपयुक्त तापमान इसके उत्पादन में सहायक हुआ है। उन्होंने कहा , “जाहिर तौर पर इस साल केसर का उत्पादन बंपर होने वाला है और यह पहली बार है कि इसके फूलों को चुनना पुराने अच्छे दिनों के समान है।”

उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों से केसर के फूलों के बड़े-बड़े गुच्छे खेतों में दिखायी नहीं दे रहे थे, लेकिन इस साल यह यह खेतों में भरपूर नजर आ रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि यदि सिंचाई सुविधा स्थापित की गयी है तो उसका समय पर उपयोग किया जाना चाहिए और किसानों को इसका लाभ मिलना चाहिये ताकि केसर का उत्पादन और बढ़ सके और समय पर हो सके।

एक अन्य किसान सैयद फारूक अहमद ने खराब सिंचाई सुविधा की शिकायत की। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने 128 बोरवेल लगाने का दावा किया है , लेकिन ये अभी तक चालू नहीं किए गए हैं।उन्होंने कहा, “हम प्राकृतिक सिंचाई पर निर्भर हैं। यदि अधिकारी सिंचाई प्रणाली लागू करें तो फसल का उत्पादन हर साल बढ़ेगा।’

फारूक ने आरोप लगाया कि जिन अधिकारियों ने केसर की कीमत 225 रुपये प्रति ग्राम तय की थी, वे दर बढ़ाने के बजाये 175 रुपये प्रति ग्राम बेचने के लिए कह रहे है, जो कि किसानों के लिए चिंता का कारण है। उन्होंने कहा कि ईरानी केसर ने बाजारों में कश्मीरी केसर की मांग कम कर दी है।

केसर एसोसिएशन ऑफ कश्मीर के अध्यक्ष अब्दुल माजिद वानी ने कहा कि ईरान सबसे अधिक मात्रा में केसर का उत्पादन कर रहा है और दरें वे तय कर रहे हैं, न कि कश्मीर के केसर उत्पादक। उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा दिए गए जीआई टैग ने कश्मीरी केसर उत्पादकों को अच्छी दर दी है।

वानी ने कहा कि कश्मीर में एक ग्राम केसर 250 रुपये में बिक रहा है। कश्मीरी केसर की देश-विदेश से भारी मांग है. फसल की कटाई की प्रक्रिया पूरी करने और केसर पार्क तक पहुंचने में एक सप्ताह का समय लगेगा।

कश्मीर के कृषि निदेशक इकबाल चौधरी ने यूनीवार्ता को बताया कि पहले मौसम की अनिश्चितताओं के कारण तापमान में गिरावट आयी थी, जिससे फूल नहीं खिल सके थे। उन्होंने कहा कि तापमान में सुधार होने के बाद से हर जगह खेतों में फूलों के गुच्छे तैयार हो गाये हैं। पंपोर और इसके आसपास के इलाकों में हर जगह खेत लहलहाते नजर आ रहे हैं।

दरों के निर्धारण और ईरानी केसर के संबंध में उन्होंने बताया कि कुछ लोग ईरानी केसर को कश्मीरी केसर में मिलाकर मिलावट कर उसे सस्ते दामों पर बेच रहे हैं।

चौधरी ने कहा कि क्रेताओं और विक्रेताओं की बैठक आयोजित की जाएगी जहां केसर की दरें मौके पर ही तय की जाएंगी। केसर के प्रचार के लिए सरकार की ओर से जो भी संभव होगा, एक विस्तृत योजना जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी। सिंचाई का मुद्दा भारत सरकार के समक्ष उठाया गया है और इसे पूरा किया जायेगा।