मैक्सिको में 25 वर्ष पहले हुई थी बौद्ध विहार की स्थापना, वैश्विक स्वरूप में है बौद्ध धर्म की सुंदरता : कुलगुरु प्रो. लाभ

भोपाल, 21 नवंबर । उत्तरी अमेरिकी देश मैक्सिको से आए बौद्ध विद्वानों ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का दौरा किया। विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने दल के अगुवा और मैक्सिको में पहला बौद्ध विहार शुरू करने वाले नंदीसेना समेत पूरे दल का स्वागत किया। मैक्सिको, वेनेज़ुएला और उरुग्वे के इस दल ने बताया कि 25 वर्ष पहले नंदीसेना ने मैक्सिको में पहला बौद्ध विहार स्थापित किया था।

सात सदस्यीय दल ने सांची विश्वविद्यालय में की विशेष परिचर्चा की। इस परिचर्चा में कुलगुरु प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने 2600 वर्ष पहले लुंबिनी से प्रारंभ हुई गौतम बुद्ध की आध्यात्मिक यात्रा और उनके महापरिनिर्वाण के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि बुद्ध की शिक्षाएं इतनी सहज और सरल हैं कि बड़ी संख्या में लोग इसे अपना रहे हैं। प्रो. लाभ ने कहा कि दुनिया के लगभग सभी देशों में लोग बुद्ध की शिक्षाओं का अध्ययन कर रहे हैं। खासकर अमेरिका, यूरोप और अफ्रीकी देशों में। बुद्ध ने अपनी शिक्षा देने के लिए आमजन की भाषा पालि को चुना था। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म की सुंदरता इसके वैश्विक स्वरूप में ही है।

परिचर्चा के दौरान नंदीसेना ने बताया कि उनका बौद्ध विहार समुद्र तल से 1700 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। उन्होंने मैक्सिकों की सभ्यता के बारे में बताते हुए कहा कि यहां माया सभ्यता विकसित हुई एवं बाद में यूरोपियों का प्रभाव रहा। सन् 1970 में बौद्ध धर्म की महायान धारा के कुछ अनुयायी यहां पहुंचे थे। इसके बाद 1990 में विपस्सना ध्यान की प्रैक्टिस करने वाले बौद्ध धर्म की दूसरी धारा थेरवाद के अनुयायी मैक्सिको पहुंचे थे। नंदीसेना, अर्जेंटीना के रहने वाले हैं। अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर में बौद्ध धर्म का अध्ययन करने के बाद नंदीसेना मैक्सिको गए थे। नंदीसेना धर्म धम्म सम्मेलन में पहले भी सांची विश्वविद्यालय आ चुके हैं।

इस सात सदस्यीय दल में मैक्सिको से नंदीसेना के अलावा बौद्ध अनुयायी जुआन व लूसिया….उरुग्वे से सोलेदाद, हेक्टर और एना मारिया तथा वेनेज़ुएला से बौद्ध अनुयायी विनस्टन शामिल रहे।