
तीन सौ करोड़ की लागत से तैयार हुआ अत्याधुनिक प्लांट- लखनऊ नोड बनेगा भारत की सामरिक शक्ति का केन्द्र
लखनऊ, 8 मई । भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते भारत अब अपनी सामरिक क्षमता को और धार दे रहा है। दुनिया की सबसे विध्वंसक मानी जाने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ का निर्माण अब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस ड्रीम परियोजना डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लखनऊ नोड पर 11 मई को ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण यूनिट का उद्घाटन कराने कीतैयारी है।
डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना का संचालन कर रही यूपीडा के एसीईओ श्रीहरि प्रताप शाही ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी की मंशा के अनुरूप, प्रदेश सरकार की ओर से ब्रह्मोस मिसाइल की मैन्युफैक्चरिंग के लिए भूमि निशुल्क उपलब्ध कराई गई है और यूनिट के विकास पर लगातार नजर रखी गई है। मात्र साढ़े तीन वर्ष में यह यूनिट बनकर उत्पादन के लिए तैयार है। लखनऊ नोड पर ब्रह्मोस के साथ ही अन्य डिफेंस इक्विपमेंट्स बनाए जाने की तैयारी है, जो डिफेंस सेक्टर में लखनऊ और उत्तर प्रदेश को एक नई पहचान देने का काम करेगा।
मुख्यमंत्री योगी का ड्रीम प्रोजेक्टमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस ड्रीम परियोजना डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में ब्रह्मोस एयरोस्पेस की यह यूनिट 300 करोड़ रुपये के निवेश से तैयार हुई है और भारत को आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। सबसे खास बात यह है कि योगी सरकार ने दिसंबर 2021 में ब्रह्मोस प्रोजेक्ट के लिए लखनऊ में 80 हेक्टेयर भूमि निःशुल्क आवंटित की थी। सिर्फ 3.5 वर्षों में इस परियोजना को निर्माण से उत्पादन की अवस्था तक लाना प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत की सैन्य शक्ति को मिलेगी नई धारभारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश में ब्रह्मोस जैसी मिसाइल का बनना बहुत महत्वपूर्ण है। यह कदम भारत की सैन्य ताकत को और मजबूत करेगा और उत्तर प्रदेश को देश की रक्षा में एक खास भूमिका निभाने वाला राज्य बनेगा। इस प्लांट के शुरू होने से उत्तर प्रदेश सीधे तौर पर देश की सुरक्षा और विकास में योगदान देगा। यह एक बड़ी और जरूरी परियोजना है, जिसमें उत्तर प्रदेश की बड़ी भागीदारी होगी। ब्रह्मोस मिसाइल की यह यूनिट राज्य की पहली अत्याधुनिक और हाई-टेक यूनिट होगी। इससे उत्तर प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर में एयरोस्पेस से जुड़ी इकाइयों और उद्योगों का विकास होगा। साथ ही, राज्य में नई और आधुनिक निर्माण तकनीकें भी शुरू हो सकेंगी।
500 इंजीनियरों और तकनीशियनों काे मिलेगा राेजगार’ब्रह्मोस’ प्रोजेक्ट शुरू होने से उत्तर प्रदेश में पहले से मौजूद एयरोस्पेस कंपनियों को उनके काम और अनुभव के हिसाब से कई नए मौके मिलेंगे। इससे नई तरह की मशीनें बनाने की तकनीक और जांच की सुविधाएं भी तैयार की जाएंगी। इस प्रोजेक्ट से करीब 500 इंजीनियरों और तकनीशियनों को सीधे काम मिलेगा। इसके अलावा, कई हजार कुशल, अर्द्ध-कुशल और सामान्य काम करने वाले लोगों को भी परोक्ष रूप से रोजगार के अवसर मिलेंगे। इस यूनिट को चलाने में मदद करने वाले बाकी उद्योगों में भी बहुत से लोगों को काम मिलेगा।
भारत और रूस का ज्वाइंट वेंचर है ब्रह्मोसउल्लेखनीय है कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस की स्थापना भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूसी संघ की सरकार के ‘जेएससी’ ‘एमआईसी’ एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया (एमपीओएम) के संयुक्त उद्यम के रूप में की गई थी। ‘ब्रह्मोस’ नाम दो महान राष्ट्रों के प्रतीकस्वरूप रखा गया है, जो दो महान नदियों- ब्रह्मपुत्र की प्रचंडता और मॉस्कवा की शांति- को दर्शाता है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस की स्थापना भारत की ओर से 50.5 फीसदी और रूस की ओर से 49.5 फीसदी हिस्सेदारी के साथ की गई थी। यह अपने प्रकार का पहला रक्षा संयुक्त उद्यम (जेवी) है, जिसे भारत सरकार ने किसी विदेशी सरकार के साथ मिलकर स्थापित किया है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के डिजाइन, विकास, उत्पादन और विपणन (मार्केटिंग) की जिम्मेदारी निभाता है, जिसमें भारतीय और रूसी उद्योगों का सक्रिय योगदान होता है।