ओंकार समाचार

कोलकाता, 31 दिसंबर।  जिसके जीवन में जितना तनाव होता है,वह उतना ही जोर से बोलता है,म्यूजिक सुनता है। जो राजसिक – तामसिक और पाश्चात्य प्रवृत्ति के लोग है जो पी-खाकर जोर -जोर से तेज आवाज में संगीत सुनते हैं,उन्हें क्षणिक आनंद आता है।असली सात्विक आनंद शान्त चित्त से भजन- कीर्तन करने से आता है।

नए वर्ष के आगमन और वर्तमान वर्ष के अंतिम दिन से भजन कीर्तन करने से सकारात्मक सोच की जागृति होती है और भगवान की कृपा सहज बरसती है। हम सबका प्रयास है, सभी को भजन-कीर्तन में ब्रह्मानंद का अनुभव हो सके।

भक्त का जीवन बांके बिहारी और किशोरी जी के लिए समर्पित होता है। भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और किशोरी जी की कृपा से बांके बिहारी का दिव्य श्रृंगार होता है।

ये बातें श्रीशरणम् के तत्वावधान में भजन संध्या में  स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने धोनो धन्यो सभागार में कही।इस अवसर पर स्वामी जी ने “वो काला एक बाँसुरी वाला,”श्यामा तेरे चरणों की, राधा तेरे चरणों की,ब्रज की धूल मिल जाए “आदि भजन गाकर सुनाया।

(मौके पर मुबंई से जतिन अग्रवाल (सुपुत्र स्वर्गीय विनोद अग्रवाल) व अखिलेश अग्रवाल ने अपने सुमधुर वाणी से भजन-कीर्तन प्रस्तुत कर श्रद्धालुगणों को अपने ईष्ट से जोड़ने का प्रयास किया। “करते हो तुम कन्हैया, मेरा नाम हो रहा है” भजन की प्रस्तुति के दौरान पूरा सभागार कन्हैयामय हो गया।

इस अवसर संस्था के ट्रस्टी अरविंद नेवर ने स्वागत भाषण देते हुए संस्था की गतिविधियों को बताया। कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्था के ट्रस्टी सज्जन कुमार सिंघानिया, मुरारीलाल दीवान, राम अवतार केडिया, ओमप्रकाश जाजू, राजेन्द्र बिहानी, राजू चौधरी, विनोद माहेश्वरी, वर्षा अग्रवाल, संदीप अग्रवाल के संग सदस्य अनूप सिंघानिया, विवेक दीवान, विकास दीवान, बबिता दीवान, गोकुल अग्रवाल आदि सदस्य सक्रिय रहे।