कोलकाता, 17 फरवरी । पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाजपा के सबसे प्रखर वक्ताओं को महत्वपूर्ण सत्रों के दौरान निशाना बनाया जाता है। यह आरोप विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने चार भाजपा विधायकों के एक महीने के लिए निलंबन के बाद लगाया।

शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि विधानसभा में निलंबन की साजिश लंबे समय से चली आ रही है। सत्ता पक्ष मुख्य रूप से विपक्ष के नेता और महत्वपूर्ण मुद्दों पर मुखर विधायकों को निशाना बनाता है। खासकर जो विधायक धाराप्रवाह बोलते हैं, उन्हें सत्र के दौरान निशाना बनाया जाता है।

निलंबित विधायकों में शुभेंदु अधिकारी के अलावा फैशन डिजाइनर से राजनेता बनीं अग्निमित्रा पॉल, बंकिम घोष और विश्वनाथ करक शामिल हैं।

शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि इन विधायकों को बिना किसी ठोस कारण के निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि विश्वनाथ करक उस समय विधानसभा में मौजूद ही नहीं थे जब हम विरोध कर रहे थे। बंकिम घोष अपनी सीट से विरोध कर रहे थे, लेकिन उन्होंने सदन के वेल में प्रवेश नहीं किया। अग्निमित्रा पॉल ने भी वेल में आकर प्रदर्शन नहीं किया। 2021 से यह चौथी बार है जब भाजपा के विधायकों, जिनमें विपक्ष के नेता भी शामिल हैं, को सदन से निलंबित किया गया है।

शुभेंदु अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस में हिस्सा लेना था, इसलिए उन्हें जान-बूझकर एक दिन पहले निलंबित कर दिया गया, ताकि वे सदन में अपने विचार प्रस्तुत न कर सकें।

भाजपा विधायकों का निलंबन उस विरोध के बाद हुआ, जो अग्निमित्रा पॉल द्वारा राज्य में हिंदू धार्मिक त्योहारों, खासकर इस महीने की शुरुआत में सरस्वती पूजा के दौरान हुए हमलों के मुद्दे पर लाया गया था। हालांकि, इस विषय पर चर्चा के लिए दिए गए प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया, लेकिन पॉल को इसे पढ़ने की अनुमति दी गई।

इस मामले पर विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने मीडिया को बताया कि चारों भाजपा विधायकों को सदन में अशोभनीय व्यवहार करने, विधानसभा के दस्तावेजों को फाड़कर स्पीकर की कुर्सी की ओर फेंकने के कारण निलंबित किया गया है।