नई दिल्ली, 6 फ़रवरी। लोकसभा ने मंगलवार को परीक्षाओं में गड़बड़ी की रोकथाम के लिए लाए गए लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक-2024 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसमें परीक्षाओं में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कई कड़े प्रावधान किए गए हैं। आवश्यकता पड़ने पर मामले को केंद्रीय एजेंसियों को सौंपे जाने का भी प्रावधान किया गया है। गलत तरीके से परीक्षा पत्र, उसकी सामग्री और जवाब लीक करने तथा अवैध तरीकों से परीक्षार्थी को पास कराने पर कड़ी कार्रवाई के प्रावधान हैं।

केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने लोकसभा में यह विधेयक पेश किया था। डॉ. सिंह ने सभी सांसदों से देश के युवाओं के लिए इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किए जाने का आग्रह किया।

डॉ. सिंह ने विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि मोदी सरकार एक संवेदनशील सरकार है। विधेयक को इसी संवदेनशीलता के साथ लाया है। देश के ज्यादातर राज्यों में युवा परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ियों और इसके चलते होने वाले विलंब से परेशान हैं। देश की युवा शक्ति को मजबूत करने के लिए विधेयक लाया गया है। गड़बड़ियों की रोकथाम का प्रथम तरीका कठोर दंड है ताकि कोई इस तरह का प्रयास न करे।

उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका मकसद किसी भी तरह से परीक्षार्थी, उम्मीदवार या सहयोग करने वाले अधिकारियों को परेशान करना नहीं है। विधेयक का मकसद ईमानदारी से परीक्षा देने का संस्कार पैदा करना है। इससे युवा अपनी पूरी ऊर्जा सकारात्मक दिशा में लगा पाएंगे।

विधेयक पर हुई चर्चा में कई सदस्यों ने भाग लिया। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विधेयक के प्रावधान केंद्र सरकार को अधिक अधिकार देते हैं जिसका सरकार विपक्ष की आवाज को रोकने के लिए कर सकती है। इसके उत्तर में डॉ सिंह ने कहा कि युवाओं का दर्द हम सभी का दर्द है और इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस विधेयक का उद्देश्य परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ी की रोकथाम करना है।

विधेयक के प्रावधानों के तहत किसी भी अपराध की जांच पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त के पद से नीचे का अधिकारी नहीं करेगा। विधेयक के तहत गलत तरीके से परीक्षा पास करने वाले को तीन साल की कैद की सजा और दस लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। परीक्षा से जुड़ी अनुचित सेवाएं उपलब्ध कराने वाले दोषियों पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना और परीक्षा की आनुपातिक लागत वसूलने एवं चार साल के लिए प्रतिबंध का प्रावधान है। संगठित अपराध में शामिल लोगों को 10 साल तक की सजा हो सकती है। संगठित अपराध में शामिल संस्थान की संपत्ति भी कुर्क किए जाने का प्रावधान है।