
ओंकार समाचार
बीकानेर, 25 सितंबर। बीकानेर विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा जारी मास्टर प्लान 2047 को लेकर हिंदू जागरण मंच ने आरोप लगाया है कि इस मास्टर प्लान में शहर के प्रमुख मंदिरों के लिए छोड़ी गई भूमि को आवासीय क्षेत्र के रूप में दर्शा दिया गया है।
मंच के पदाधिकारियों का कहना है कि बीकानेर को मंदिरों और मठों की नगरी कहा जाता है। रियासत काल में राजाओं ने यहां कई प्रसिद्ध मंदिरों की स्थापना करने के साथ ही मंदिरों की देखरेख के लिए उनके नाम से कृषि व व्यावसायिक भूमि भी आवंटित की थी। इनमें लालेश्वर मंदिर, शिवबाड़ी, नागणेचीजी मंदिर और नवलेश्वर मंदिर प्रमुख हैं। नए मास्टर प्लान में केवल मंदिर परिसर का अंकन किया गया है, जबकि उनसे जुड़ी भूमि को तथा तालाब के पायतान ( आगोर ) को भी आवासीय भूमि में दर्शा दिया गया है।
मंच का कहना है कि इस फैसले के दूरगामी नतीजे होंगे। इससे भूमाफियाओं को कब्जे का मौका मिलेगा और मंदिरों को आवंटित भूमि पर अतिक्रमण की आशंका बढ़ जाएगी। साथ ही सरकार द्वारा भी इस भूमि पर कब्जे की कोशिश की जा सकती है।
हिंदू जागरण मंच ने आरोप लगाया कि यह कदम मंदिरों को कमजोर करने और धार्मिक स्थलों की संपत्ति पर साजिशाना कब्जा करने का प्रयास है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। मंच ने राज्य सरकार और प्रशासन से मांग की है कि मास्टर प्लान में संशोधन कर मंदिरों, तालाबों और पायतान की भूमि को आवासीय श्रेणी से हटाकर पुनः धार्मिक श्रेणी में दर्ज किया जाए।







