कोलकाता, 20 जून । वैश्विक ऊष्मीकरण जैसी गंभीर समस्या से निपटने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए केंद्र सरकार के उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय के अधीन पेटेंट कार्यालय ने ग्रीनहाउस मॉनिटरिंग (आईओटी) डिवाइस की डिज़ाइन को आधिकारिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह डिवाइस अब निर्माण के लिए संबंधित उत्पादनकर्ता कंपनी को भेजा जाएगा।

इस यंत्र की अभिनव डिज़ाइन की मदद से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के क्षेत्रीय स्रोतों की पहचान, उनकी मात्रा का आकलन और उसके समाधान की दिशा में वैज्ञानिक उपायों को सरल बनाया जा सकेगा। लगातार बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच यह तकनीक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि मानी जा रही है।

इस परियोजना में कुल 10 वैज्ञानिक शामिल हैं, जिनमें पश्चिम बंगाल के तीन प्रमुख वैज्ञानिकों ने अग्रणी भूमिका निभाई। इनमें से एक हैं डॉ. अभिषेक साहा। वे चातरा रामाई पंडित महाविद्यालय (बांकुड़ा विश्वविद्यालय) में भूगोल विभाग के प्रोफेसर हैं। साथ ही इसरो के आईआईआरएस के नोडल कोऑर्डिनेटर हैं। हिन्दुस्थान समाचार से विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि स्वीकृति मिलने से वे बेहद खुश हैं।

दूसरे प्रमुख सदस्य हैं डॉ. जॉर्ज विश्वास, प्रोफेसर, भूविज्ञान विभाग, प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय, कोलकाता, जो एक असाधारण एथलीट भी हैं और अब तक 98 मैराथन में जीत दर्ज कर चुके हैं।

तीसरे सदस्य उत्तरण सातरा कोल इंडिया में डिप्टी मैनेजर हैं।

इस डिज़ाइन पेटेंट में एक और महत्वपूर्ण नाम है डॉ. मो. वासिम अकातुर, जो ग्रेटा इनोवेशन सेंटर के संस्थापक हैं और इस परियोजना के प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक हैं।

इस यंत्र को औद्योगिक स्तर पर तैयार करने के बाद इसके उपयोग से वायुमंडल में उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों की वास्तविक निगरानी और विश्लेषण संभव होगा, जिससे पर्यावरणीय नीतियों को अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा। वैज्ञानिक समुदाय इस सफलता को जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने की दिशा में ठोस कदम मान रहा है।—–