
रांची, 13 जून। अग्रसेन भवन के सभागार में गणेश पूजन और श्रीमदभागवत शोभायात्रा के साथ भागवत कथा शुक्रवार से शुरू हुई।
कथा के पहले दिन मुख्य यजमान लता देवी केडिया, ओम प्रकाश केडिया, निरंजन, अजय, संजय केडिया ने श्रीमदभागवत और ब्यास पूजन किया। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ब्यास पीठ पर विराजमान कथा वाचक श्रीकांत शर्मा को मुख्य यजमान ओम प्रकाश केडिया ने चंदन वंदन और माल्यर्पण कर अभिनंदन किया। इसके साथ ही अग्रसेन भवन में श्रीकांतशर्मा का कथा करते हुए 51 वां वर्ष पूरा हुआ। वहीं भागवत आरती के साथ पहले दिन की कथा शुरू होने से पूर्व रामगढ़ से पहुंचे कमल सुरेश बगड़िया ने गुरुजी के आगमन पर गुरु वंदना की और स्वागत किया।
कथा सुनाते हुए कथा वाचक श्रीकांत शर्मा ने कहा कि ज्ञान मार्ग की शुरुआत अहम् ब्रह्मास्मि से होती है।
भक्ति में पहले मैं गिरता है। तू बाद में गिरता है। जब मैं गिर गया तो तू भी तो नहीं रहा। उन्होंने कहा कि भक्ति की व्याख्या नहीं हो सकती व्याख्या तो ज्ञान की होती है ।
जितनी गहरी निष्ठा होती चली जाएगी एक तत्त्व रुप होता जायेगा। अपना सर्वस्व दे दिया और गोविंद जी को मोल ले लिया। सिर्फ समझने के लिए भक्ति के नौ भाग योग के आठ अंग कर दिए गए पर भक्ति सुगम और आनंदमय है।
उन्होंने कहा कि भगवत स्मरण ही जीवन का सार है। मानव परम शांति को प्राप्त कर धन्य हो जाता है। आध्यात्मिक, आधी भौतिक, आधी दैविक तीनों दुखों की समूल निवृत्ति भगवन नाम से ही है। परमानंद सिंधु श्री कृष्ण के समीप रहकर नित्य दर्शन के दिव्यानंद सिंधु में गोते लगाता है। रूप सिंधु, आनंद सिंधु श्री कृष्ण ही हैं। जब तक वेदांत कर्मकांड योग मार्ग की कठिनता से जब जीव ऊब जाता है तो हे कृष्ण पुकारता है, तब भक्ति का सहज स्वाभाविक मार्ग श्री कृष्ण कृपा से खुल जाता है।
भागवत में सनक, सनन्दन, सनकादि भी दंड कमंडल छोड़कर भक्ति की ही शरणागति चाहते हैं। संसार रूपी महासागर से भक्ति रूपी नौका गंतव्य तक पहुंचा ही देगी। योग और ज्ञान से भी भक्ति सर्वोच्च है। भक्ति का सर्वोच्च शिखर भी यही है कि भक्त और भगवान में एक तत्वता हो जाए। जो आप हैं वही मैं हूं।
कलशायात्रा
इसके पूर्व सुबह में रातू रोड स्थित श्री राणी सती मंदिर से श्रीमद भागवत मंगल कलश शोभायात्रा गुरुजी के सानिध्य में निकाली गई।
शोभायात्रा में मुख्य यजमान श्रीमद्भागवत कथा ग्रंथ माथे पर लेकर चल रहे थे। वहीं मुख्य कलश सहित 50 से अधिक महिला श्रद्धालू मंगल कलश के साथ शोभायात्रा में शामिल थीं। महिलाएं और पुरुष रंग-बिरंगे पताकाओं के साथ शोभा बढ़ा रहे थे। वहीं एक रथ पर गुरुजी विराजमान थे।
वहीं भजनों की गंगा शोभायात्रा में बहाई जा रही थी। नगर भ्रमण के साथ शोभायात्रा कथा स्थल पहुंची।
शोभायात्रा में ओमप्रकाश केडिया, निरंजन, अजय, संजय केडिया, राजेश गोयल, निर्मल बुधिया, मनोज अग्रवाल, प्रमोद सारस्वत, दीपक अग्रवाल, श्रेष्ठ केडिया, देवांश केडिया सहित अन्य श्रद्धालु शामिल थे।