कोलकाता, 14 मई । पाकिस्तान की हिरासत में 22 दिनों तक रहने के बाद बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार साव आखिरकार बुधवार सुबह स्वदेश लौट आए। जैसे ही अटारी सीमा पार कर उन्होंने भारतीय जमीन पर कदम रखा, पूरे देश ने राहत की सांस ली। इस बीच सबसे भावनात्मक क्षण वह था, जब जवान ने अपने कार्यस्थल पठानकोट से पत्नी रजनी को वीडियो कॉल किया। एक ओर चेहरे पर लंबी दाढ़ी, थकी-हारी आंखें और दूसरी ओर पत्नी की आंखों से फूट पड़ा दर्द।

हुगली जिले के रिषड़ा के रहने वाले पूर्णम कुमार को बुधवार सुबह 10:30 बजे अटारी-वाघा सीमा के जरिए भारत को सौंपा गया। उसके बाद उन्हें तुरंत पठानकोट भेजा गया, जहां से उन्होंने रजनी से बात की। रजनी ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया, “वह बोले, चिंता मत करो, मैं ठीक हूं, बस दाढ़ी कटानी है… बाद में बात करूंगा। उनके चेहरे की हालत देखकर मैं रो पड़ी। पर अब सुकून है कि वह सुरक्षित हैं।”

बीएसएफ अधिकारियों ने पुष्टि की वापसी की प्रक्रियाबीएसएफ के बंगाल स्थित अधिकारियों ने बताया कि पूर्णम को पाकिस्तान द्वारा भारत को सौंप दिया गया है और यह एक स्थापित प्रक्रिया के तहत हुआ है। उन्होंने बताया, “ऐसे मामलों में जवान की मेडिकल जांच और कुछ अन्य औपचारिकताएं की जाती हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जवान पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। साथ ही सुरक्षा के लिहाज से इंटेलिजेंस जांच भी होती है। इन प्रक्रियाओं के पूरा होते ही उन्हें उनके परिवार के पास भेज दिया जाएगा।”

राजनीतिक से लेकर पारिवारिक स्तर पर चला संघर्षपूर्णम की वापसी आसान नहीं थी। 22 अप्रैल को पहलगांव हमले के ठीक अगले दिन, वह उधमपुर में तलाशी अभियान के दौरान गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तानी क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे, जहां उन्हें पाकिस्तान रेंजर्स ने पकड़ लिया। परिवार को पहले कुछ दिनों तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई। पत्नी रजनी ने बीएसएफ मुख्यालय से लेकर सांसदों और मुख्यमंत्री तक—हर जगह गुहार लगाई। बिना नींद और चिंता में डूबी 22 रातों के बाद, आज जब वह लौटे हैं तो पूरे परिवार में राहत की लहर है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी जवान की पत्नी से फोन पर संपर्क कर हालचाल लिया और सोशल प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा—“मैं जवान की सुरक्षित वापसी से बेहद खुश हूं। उनके परिवार के साथ मैं लगातार संपर्क में थी। आज फिर बात हुई। पूर्णम को शुभकामनाएं और परिवार को ढेरों प्यार।”

पिता ने कहा—बेटा लौट आया, अब बस घर आने की देरपूर्णम के पिता ने कहा, “बेटा लौट आया, इससे बड़ी राहत की बात और क्या हो सकती है। हालांकि वह अब सीधे घर नहीं आ पाएगा, पहले मेडिकल जांच होगी, फिर वह हमारे पास आएगा। लेकिन अब हम चैन से सांस ले सकते हैं।”

जवान की पत्नी रजनी ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद और आम जनता तक को धन्यवाद देते हुए कहा, “इन 22 दिनों में पूरा देश हमारे साथ खड़ा रहा। सभी के आशीर्वाद और प्रार्थनाओं का ही नतीजा है कि आज मेरे पति घर लौट आए हैं। अब बस इंतजार है उनके घर आने का।”

फ्लैग मीटिंग से लेकर कूटनीतिक प्रयास तकजानकारी के अनुसार, जब इस तरह कोई जवान गलती से सीमा पार कर लेता है, तो परंपरा के अनुसार फ्लैग मीटिंग के जरिए मामला सुलझाया जाता है। लेकिन भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण रिश्तों के कारण इस बार मामला जटिल हो गया। इसके बावजूद भारत ने कूटनीतिक स्तर पर प्रयास जारी रखे और अंततः जवान की रिहाई संभव हो सकी। बीएसएफ के एक अधिकारी ने कहा कि हमने भी पाकिस्तानी रेंजर्स के लोगों को पकड़ा था, जिन्हें पाकिस्तान को सौंप दिया है। पूर्णम की घर वापसी से पहले बहुत कुछ है तो जानना है, उसके बाद निश्चित तौर पर पूर्णम अपने परिवार के साथ होंगे।